कुंदन कुमार/पटना। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब पार्टी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, पूर्व सांसद सूरजभान सिंह ने बुधवार को पार्टी से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। उन्होंने न केवल अपने सभी पदों से बल्कि पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी त्यागपत्र दे दिया।

पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र पूरी तरह खत्म हो गया है— सूरजभान सिंह

इस्तीफा देते हुए सूरजभान सिंह ने कहा कि आरएलजेपी में आंतरिक लोकतंत्र समाप्त हो गया है। पार्टी में अब कोई भी निर्णय सामूहिक रूप से नहीं लिया जाता। उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय नेतृत्व एकतरफा फैसले ले रहा है, जिससे कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ठेस पहुँच रही है। सिंह ने कहा मैंने अपने जीवन के दो दशक स्वर्गीय रामविलास पासवान जी के साथ मिलकर इस पार्टी को खड़ा करने में लगाए लेकिन आज पार्टी उन्हीं के सिद्धांतों से भटक चुकी है।

रामविलास पासवान की विरासत बचाने के लिए कोई भी कुर्बानी दूंगा

सूरजभान सिंह ने कहा कि उन्होंने हमेशा रामविलास पासवान जी की विचारधारा और सिद्धांतों को आगे बढ़ाने का काम किया। उन्होंने दुख जताया कि उनके विरोध के बावजूद पार्टी को तोड़ दिया गया, फिर भी वे पूरी निष्ठा से पार्टी के साथ बने रहे।उन्होंने कहा मेरे लिए कोई भी पद मायने नहीं रखता। मैं स्वर्गीय रामविलास पासवान जी की विरासत और उनके लाखों कार्यकर्ताओं के सम्मान के लिए किसी भी हद तक जा सकता हूं।

पार्टी अब पासवान जी की राह से भटक चुकी है

पूर्व सांसद ने अपने बयान में कहा कि आरएलजेपी अब स्वर्गीय रामविलास पासवान की विचारधारा, सिद्धांतों और मूल्यों से पूरी तरह भटक चुकी है। इसी कारण उन्होंने भारी मन से पार्टी से इस्तीफा देने का निर्णय लिया।उन्होंने आगे कहा कि यह फैसला आसान नहीं था, लेकिन कार्यकर्ताओं के स्वाभिमान और सम्मान की रक्षा के लिए यह कदम उठाना जरूरी था।

राजनीतिक हलकों में हलचल

सूरजभान सिंह के इस्तीफे के बाद बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। उन्हें रामविलास पासवान के करीबी सहयोगियों में गिना जाता था। अब देखना दिलचस्प होगा कि उनके इस कदम का असर आगामी राजनीतिक समीकरणों पर कितना पड़ता है।