रायपुर। बस्तर में आज हो रहे देश के इतिहास में अब तक के सबसे नक्सली समर्पण में एक शख्स का नाम सबसे ऊपर है, उसका नाम ताक्कलपल्ली वासुदेव राव उर्फ ​​रूपेश है. माओवादियों के ‘बम निर्माता’ रूपेश ने 2 दिसंबर, 2000 को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू पर हुए हमले की साजिश रची थी.

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तेलंगाना के मुगुलु निवासी 59 वर्षीय रूपेश आखिरी बार छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ इलाके से सक्रिय था. उसके साथ आत्मसमर्पण करने वाले विद्रोहियों में दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेजेडसी) की माड़ संभाग प्रभारी रनिता भी शामिल है.

रूपेश ने न केवल आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू पर हुए हमले की साजिश रची थी. बल्कि माना जाता है कि वह 1999 में तत्कालीन आंध्र प्रदेश के गृह मंत्री ए. माधव रेड्डी और युवा आईपीएस अधिकारी उमेश चंद्रा की हत्याओं में भी शामिल था.

छत्तीसगढ़ पुलिस सूत्रों के मुताबिक, रूपेश को प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) की केंद्रीय समिति में पदोन्नत किया गया है, लेकिन उन्होंने अभी तक यह पद ग्रहण नहीं किया है. सूत्र के अनुसार, वह केंद्रीय समिति की किसी भी बैठक में शामिल होने से पहले ही आत्मसमर्पण कर रहे हैं.

रूपेश का आत्मसमर्पण मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ ​​सोनू उर्फ ​​अभय उर्फ ​​भूपति के आत्मसमर्पण के ठीक दो दिन बाद हुआ है. ​​सोनू उर्फ ​​अभय उर्फ ​​भूपति भाकपा (माओवादी) के पोलित ब्यूरो के सदस्य थे, और पार्टी के वैचारिक प्रमुख के रूप में जाने जाते थे. आत्मसमर्पण से पहले सोनू ने अधिकारियों को एक पत्र लिखकर प्रस्ताव दिया था कि माओवादी “पार्टी को बचाने” के लिए “सशस्त्र संघर्ष” छोड़ सकते हैं, साथ ही कहा था कि रूपेश उनके साथ है.

तेलंगाना के खुफिया सूत्रों के अनुसार, रूपेश सोनू का समर्थक था. तेलंगाना के एक खुफिया अधिकारी ने बताया, ‘यह कहने के लिए पर्याप्त जानकारी है कि हथियार छोड़ने का फैसला करने से पहले वे एक-दूसरे के संपर्क में थे.’