बक्सर। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बक्सर की राजनीति में रविवार को बड़ा मोड़ देखने को मिला। भाजपा से नाराज़ चल रहे अमरेंद्र पांडेय ने निर्दलीय नामांकन वापस लेकर भारतीय जनता पार्टी में दोबारा वापसी की घोषणा कर दी। शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद पांडेय ने अपना रुख बदलते हुए कहा क्षणिक आवेश में पार्टी से दूरी बना ली थी, लेकिन अब परिवार के पास लौट आया हूँ। सुबह का भुला अगर शाम को लौट आए, तो उसे भुला नहीं कहते।

अमित शाह से मुलाकात बनी टर्निंग पॉइंट

सूत्रों के अनुसार, अमरेंद्र पांडेय की नाराज़गी दूर करने में अमित शाह की बातचीत निर्णायक साबित हुई। शाह से मुलाकात के बाद पांडेय ने न केवल नामांकन वापस लिया, बल्कि भाजपा के प्रति अपनी निष्ठा और विश्वास दोहराया। उन्होंने कहा कि वे भाजपा की विचारधारा और संगठन की एकता में गहरी आस्था रखते हैं और बक्सर विधानसभा से एनडीए प्रत्याशी आनंद मिश्रा की जीत सुनिश्चित करेंगे।

प्रेस वार्ता में दिखी एकजुटता

इस मौके पर भाजपा जिला कार्यालय अहिरौली में प्रेस वार्ता आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता जिला अध्यक्ष ओमप्रकाश भुवन ने की। संचालन का कार्य जिला मीडिया प्रभारी उमाशंकर राय ने संभाला। प्रेस वार्ता में एमएलसी जीवन कुमार, क्षेत्रीय प्रभारी अशोक भट्ट, एनडीए उम्मीदवार आनंद मिश्रा और स्वयं अमरेंद्र पांडेय मौजूद थे।बैठक के दौरान भारतीय जनता पार्टी जिंदाबाद और इंडिया गठबंधन जिंदाबाद के नारों से माहौल उत्साहपूर्ण बन गया।

धर्मेंद्र प्रधान की बैठक ने बनाई जमीन

गौरतलब है कि 18 अक्टूबर को केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान बक्सर पहुंचे थे। वैष्णवी क्लार्क होटल में हुई बैठक में जिले के सभी भाजपा पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और मंडल अध्यक्षों ने चुनाव रणनीति पर विस्तृत चर्चा की थी। इसी बैठक में अमरेंद्र पांडेय से संगठन को लेकर गहन बातचीत हुई, जिसने उनकी वापसी का रास्ता तैयार किया।

भाजपा के लिए बड़ा राहत संकेत

अमरेंद्र पांडेय की “घर वापसी” भाजपा के लिए एक बड़ी रणनीतिक सफलता है। पांडेय का प्रभाव बक्सर और आसपास के इलाकों में मजबूत माना जाता है। उनका दोबारा पार्टी में शामिल होना न सिर्फ बगावत की आशंका को खत्म करता है बल्कि भाजपा और एनडीए के लिए मनोबल बढ़ाने वाला कदम है। अब बक्सर की सियासत में मतभेद नहीं, संगठन की शक्ति दिख रही है। अमित शाह के हस्तक्षेप से जो दूरी बनी थी, वह संवाद और विश्वास के पुल से मिट चुकी है। अमरेंद्र पांडेय की यह वापसी भाजपा के लिए न सिर्फ राहत की खबर है बल्कि इस बात का संदेश भी कि मतभेद हो सकते हैं, पर मनभेद स्थायी नहीं होते।