Parvez Rasool retires: भारतीय टीम इस वक्त ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर है। इस बीच जम्मू-कश्मीर के क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक दुखद खबर है। राज्य से भारतीय टीम के लिए अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले खिलाड़ी परवेज रसूल ने अपने शानदार करियर को अलविदा कह दिया है। 36 वर्षीय रसूल ने BCCI को अपने संन्यास की जानकारी दी और अब सभी प्रारूपों से क्रिकेट से विदाई ले ली है।

बता दें कि विराट कोहली की कप्तानी में अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच खेलने वाले इस क्रिकेटर ने अपने फैसले से अचानक वर्ल्ड क्रिकेट में सनसनी मचा दी है। 11 साल पहले इस क्रिकेटर ने 15 जून 2014 को सुरेश रैना की कप्तानी में भारत के लिए अपना ODI डेब्यू किया था।

फर्स्ट क्लास में शानदार करियर

परवेज रसूल ने अपने 17 साल लंबे फर्स्ट क्लास करियर में 352 विकेट झटके और 5648 रन बनाए। वे जम्मू-कश्मीर के लिए रणजी ट्रॉफी में हमेशा भरोसेमंद खिलाड़ी रहे और अपनी ऑलराउंड क्षमताओं के लिए प्रसिद्ध थे। उनके योगदान को देखते हुए उन्हें 2013/14 और 2017/18 में दो बार लाला अमरनाथ ट्रॉफी से नवाजा गया।

भारत के लिए केवल एक ODI और एक T20I मैच ही खेल पाए रसूल

हालांकि रसूल का फर्स्ट क्लास करियर शानदार रहा, लेकिन उनका इंटरनेशनल करियर केवल दो मैचों तक ही सीमित रहा। उन्होंने 15 जून 2014 को बांग्लादेश के खिलाफ मीरपुर में T20I डेब्यू किया, जबकि लगभग ढाई साल बाद इंग्लैंड के खिलाफ कानपुर में अपना पहला ODI मैच खेला।

IPL में पुणे वॉरियर्स से जुड़ाव

साल 2012-13 में जम्मू-कश्मीर के लिए शानदार प्रदर्शन करने के बाद रसूल को IPL में भी मौका मिला। उस सीजन उन्होंने 594 रन बनाए और 33 विकेट अपने नाम किए। इसके बाद उन्हें पुणे वॉरियर्स फ्रेंचाइज़ी में शामिल किया गया। हालांकि, पिछले कुछ सीजन उनके लिए चुनौतीपूर्ण रहे और वे रणजी ट्रॉफी टीम से बाहर चल रहे थे।

रसूल ने संन्यास के मौके पर कहा कि जब उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था, तब जम्मू-कश्मीर क्रिकेट को गंभीरता से नहीं लिया जाता था। उन्होंने कहा, “हमने कठिन परिस्थितियों में भी बड़े-बड़े टीमों को हराया और BCCI के टूर्नामेंटों में अच्छा प्रदर्शन किया। यह गर्व की बात है कि मैं इस सफलता की कहानी का हिस्सा रहा।”

इसके अलावा, उन्होंने हाल ही में BCCI सेंटर ऑफ एक्सीलेंस से लेवल-II कोचिंग सर्टिफिकेट प्राप्त किया है। अब उनका लक्ष्य फुल टाइम कोचिंग करना, युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करना और विदेशी लीगों में भी हिस्सा लेना है।

परवेज रसूल का करियर केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर क्रिकेट को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उनके समर्पण, मेहनत और जुनून ने साबित किया कि कठिन हालात में भी सफलता संभव है। अब रसूल का अनुभव और ज्ञान नए क्रिकेटरों के लिए मार्गदर्शन का स्त्रोत बनेगा।

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