आमोद कुमार, भोजपुर। जन सुराज अभियान के संस्थापक प्रशांत किशोर दिवाली के दिन भोजपुर जिले के बाढ़ प्रभावित जवानियां गांव पहुंचे और वहां बांध पर शरण लिए सैकड़ों परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने दोपहर से लेकर शाम तक बाढ़ पीड़ितों के बीच समय बिताया, उनका हालचाल जाना और उनके साथ दिवाली का पर्व भी साझा किया।
राजनीति नहीं संवेदना लेकर आए हैं- पीके
प्रशांत किशोर ने मौके पर मौजूद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि, जवानियां गांव के करीब 700 परिवार आज भी बांध के किनारे बेघर होकर रहने को मजबूर हैं, लेकिन सरकार को उनकी कोई चिंता नहीं है। उन्होंने कहा, “हम यहां राजनीति नहीं, संवेदना लेकर आए हैं। सरकार इन लोगों को भूल चुकी है। ऐसे में हम सभी बिहारवासियों की जिम्मेदारी बनती है कि इनकी आवाज बनें।”
‘हम कोई मदद नहीं कर सकते’
प्रशांत किशोर ने स्पष्ट कहा कि, वे फिलहाल कोई आर्थिक या भौतिक मदद नहीं कर सकते, लेकिन वे यह बताने आए हैं कि अगर आज जवानियां को सरकार ने अनदेखा किया है, तो कल को किसी और की बारी आ सकती है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे इस अनदेखी के खिलाफ आवाज उठाएं।
‘नई सरकार, नई व्यवस्था की जरूरत’
जन सुराज नेता ने कहा कि राज्य की मौजूदा व्यवस्था आम लोगों की पीड़ा को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने कहा, “जो सरकार बाढ़ पीड़ितों के लिए संवेदनशील नहीं है, उसे बदलना जरूरी है। नई सरकार आने पर जवानियां जैसे गांवों को फिर से बसाने के लिए संसाधन जुटाए जाएंगे।”
‘वोट देने जाएं तो जवानियां के लोगों को याद रखें’
प्रशांत किशोर ने जनता से अपील करते हुए कहा, “जब इस बार विधानसभा चुनाव के लिए वोट देने जाएं, तो जवानियां के उन 700 परिवारों को जरूर याद रखें, जो आज दिवाली के दिन भी खुले आसमान के नीचे, बांध पर रहने को मजबूर हैं।” उन्होंने सभी बिहारवासियों से दिवाली के इस पर्व पर जवानियां के पीड़ित परिवारों के संघर्ष में साथ खड़े होने का अनुरोध किया।
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