2020 के दिल्ली दंगों की जांच को लेकर दिल्ली पुलिस(Delhi Police) को कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि संबंधित चार्जशीट अस्पष्टता से भरी हुई है। कोर्ट ने दंगों के दौरान हुई आगजनी और तोड़फोड़ के एक मामले में पुलिस की जांच की आलोचना की। अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि घटना में शामिल दो समूहों में से किस समूह ने पीड़ितों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और जलाया।
अदालत ने कहा कि पुलिस ने 21 जनवरी 2025 के आदेश की सरेआम अनदेखी की, जिसमें मामले की अधिक स्पष्ट जांच करने का निर्देश दिया गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने 16 अक्टूबर को आदेश जारी करते हुए कहा, “यह स्पष्ट है कि यह पूरा मामला, जिसके तथ्य पहले से ही अस्पष्ट थे, इस पूरक आरोप पत्र (supplementary chargesheet) से और भ्रमित हो गया है।” पुलिस ने मामले में पांच गिरफ्तारियां की थीं और दंगा, आगजनी और आपराधिक साजिश से जुड़ी धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया था। गिरफ्तार आरोपी कोमल मिश्रा, गौरव, गोलू, अजहर और मोहम्मद आरिफ फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।
अदालत ने कहा कि पुलिस ने 21 जनवरी 2025 के आदेश की अनदेखी की, जिसमें मामले की साफ और स्पष्ट जांच का निर्देश दिया गया था। कोर्ट ने ध्यान दिलाया कि चार्जशीट में दो समूहों के सदस्यों के नाम शामिल थे, लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि किस समूह ने पीड़ितों की कौन-सी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने कहा कि यह पूरा मामला, जिसकी पहले से ही अस्पष्टता थी, पूरक आरोप पत्र से और भ्रमित हो गया।
2020 के दिल्ली दंगों की जांच में अभियोजन पक्ष ने हाल ही में एक पूरक आरोप पत्र (supplementary chargesheet) दायर किया है। इसमें अभियोजन ने सात व्यक्तियों की शिकायतें वापस लेने की अनुमति मांगी है और साथ ही दो आरोपियों, मोहम्मद अजहर और आरिफ, को मामले से बरी (Discharge) करने की मांग की है। इन सात शिकायतों और दोनों आरोपियों के संबंध में अलग से एफआईआर दर्ज की जाएगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि मामले की जांच और अभियोजन प्रक्रिया साफ और व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़े।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने टिप्पणी की, “निर्देश के अनुसार आगे की जांच करने और अदालत को यह दिखाने के बजाय कि ये दो भीड़ (mobs) किसी एक साझा उद्देश्य से कैसे जुड़ी थीं, अभियोजन पक्ष ने, अगर मैं खुलकर कहूं, उस आदेश से बचने की कोशिश की है।” अदालत ने ध्यान दिलाया कि पूरक आरोप पत्र में उन दो आरोपियों (मोहम्मद अजहर और आरिफ) के खिलाफ कोई नई FIR दर्ज किए जाने की जानकारी नहीं दी गई।
अदालत ने पाया कि पूरक आरोप पत्र केवल पिछले आदेशों को विफल करने के लिए दायर किया गया था। अदालत ने कहा कि पुलिस ने अब तक बाकी तीन शिकायतों की कोई जांच नहीं की है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने मामले में सुधारात्मक कार्रवाई के लिए दिल्ली पुलिस आयुक्त के संज्ञान में लाने का निर्देश दिया। अदालत ने अगली सुनवाई 14 नवंबर निर्धारित की है, जब पुलिस और अभियोजन से इस पूरे मामले पर साफ और स्पष्ट रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है।
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