बिहार के बाद अब पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग जल्द एसआईआर यानी विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) शुूरू करने की घोषणा कर सकता है. इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. इस बभियान से पहले राज्य की सीएम ममता बनर्जी ने इसका विरोध भी शुरू कर दिया है. वहीं दूसरी तरफ एसआईआर शुरू होने से पहले चुनाव आयोग 600 बीएलओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. उन्हें आयोग का काम न करने का स्पष्ट कारण बताने का आदेश दिया गया हैय आरोप है कि कई बीएलओ आयोग के काम में हिस्सा नहीं लेना चाहते हैं.

क्या है आरोप ?

बीएलओ का कहना है कि हम एसआईआर का विरोध नहीं कर रहे हैं. हम हर संभव मदद के लिए तैयार हैं. इसलिए, एसआईआर प्रक्रिया के कारण स्कूल बंद रहेंगे, हम ऐसा नहीं होने दे सकते. वहीं चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि, हम उन लोगों के साथ खड़े हैं जो बीएलओ का काम इसलिए नहीं करना चाहते क्योंकि वे स्कूल में अकेले शिक्षक हैं या किसी खास विषय के अकेले शिक्षक हैं. बता दें कि, ये बीएलओ यानी बूथ लेवल अधिकारी चुनाव आयोग के काम में हिस्सा लेते हैं. ये बीएलओ घर-घर जाकर मतदाता सूची संशोधन के लिए जानकारी इकट्ठा करते हैं. बंगाल में 600 बीएलओ को चरणबद्ध तरीके से कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं.

EC ने बीएलओ की नियुक्ति की जांच शुरू की

इस बीच, चुनाव आयोग की नजर बीएलओ की नियुक्ति पर है. चार हजार से ज्यादा बीएलओ की नियुक्ति में अनियमितताओं के आरोप हैं. सीईओ कार्यालय ने अब जिलाधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है. आरोप लगे हैं कि कुछ जगहों पर महिला शिक्षिकाओं को सहायक शिक्षिका बताकर बीएलओ के रूप में काम पर भेजा जा रहा है.

भाजपा ने राज्य सरकार पर बोला हमला

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि इस राज्य में शिक्षक सुरक्षा की कमी महसूस करते हैं, इसलिए वे काम नहीं करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस इस दिशा में दहशत फैला रही हैय उन्होंने सत्तारूढ़ दल पर एसआईआर प्रक्रिया में दहशत का माहौल बनाने की कोशिश करने का आरोप लगाया. हालांकि, तृणमूल नेता अरूप चक्रवर्ती ने कहा, “कारण बताओ नोटिस चुनिंदा तरीके से जारी किए गए हैंय यह संघीय ढांचे के खिलाफ है. आयोग को इस तरह से कारण बताओ नोटिस जारी करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है.”

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