सोहराब आलम/मोतिहारी पूर्वी चंपारण। बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक माहौल लगातार गरमाता जा रहा है। इसी बीच गुरुवार को पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी विधानसभा क्षेत्र से राजद प्रत्याशी देवा गुप्ता के आवास पर हुई प्रशासनिक छापेमारी ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया।
घर पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारी
सूत्रों के अनुसार, मजिस्ट्रेट नवनीत कुमार को यह सूचना मिली थी कि राजद प्रत्याशी देवा गुप्ता के घर पर मतदाताओं को लुभाने के लिए पैसे और उपहार का वितरण किया जा रहा है। इसी सूचना के आधार पर उन्होंने छतौनी थाना के थानाध्यक्ष सुनील कुमार और भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर छापेमारी शुरू की।
राजनीतिक दबाव में की गई कार्रवाई
जैसे ही प्रशासनिक टीम देवा गुप्ता के घर पहुंची, वहां पहले से मौजूद समर्थकों में अफरातफरी मच गई। छापेमारी की खबर फैलते ही मौके पर बड़ी संख्या में राजद कार्यकर्ता और समर्थक जुट गए और प्रशासनिक कार्रवाई का विरोध करने लगे। समर्थकों का आरोप था कि यह छापेमारी राजनीतिक दबाव में की जा रही है और प्रशासन एक विशेष पार्टी के इशारे पर काम कर रहा है।
प्रशासनिक अधिकारियों ने दी जानकारी
स्थिति तनावपूर्ण होते देख मजिस्ट्रेट नवनीत कुमार ने खुद मौके पर मौजूद लोगों से शांत रहने की अपील की और कहा कि प्रशासन केवल चुनावी आचार संहिता के पालन और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपना कर्तव्य निभा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई किसी भी राजनीतिक दबाव में नहीं की गई, बल्कि निष्पक्ष रूप से की जा रही है। बावजूद इसके, समर्थकों का विरोध जारी रहा और माहौल बिगड़ने लगा।
पुलिस अधिकारियों को मौके से लौटना पड़ा
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारियों को मौके से लौटना पड़ा, लेकिन इस घटना ने इलाके की सियासत को गर्मा दिया है। छापेमारी की खबर मिलते ही विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक साजिश करार देते हुए चुनाव आयोग से निष्पक्ष जांच की मांग की है। राजद नेताओं का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई से चुनावी माहौल प्रभावित हो सकता है और मतदाताओं में गलत संदेश जा रहा है।
चुनावी हवा को गर्मा दिया
वहीं प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि यह कदम केवल आचार संहिता के पालन और पैसे के दुरुपयोग पर रोक लगाने के लिए उठाया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं से चुनावी तनाव बढ़ सकता है। कुछ लोगों ने प्रशासन की सख्ती का समर्थन किया, तो कईयों ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया। फिलहाल, इस छापेमारी के बाद मोतिहारी विधानसभा का माहौल पूरी तरह से राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है। समर्थकों और विरोधियों के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। इस घटना ने न केवल मोतिहारी, बल्कि पूरे पूर्वी चंपारण की चुनावी हवा को गर्मा दिया है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या चुनाव आयोग इस मामले में कोई जांच करेगा या प्रशासन की कार्रवाई को सही ठहराया जाएगा। लेकिन इतना तय है कि इस छापेमारी ने चुनावी मैदान में नई हलचल पैदा कर दी है और आने वाले दिनों में मोतिहारी की राजनीति और भी दिलचस्प होती नजर आ रही है।
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