पटना। बिहार में चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरुआत शनिवार से हो गई है। पहले दिन ‘नहाय-खाय’ के साथ ही श्रद्धालु व्रत के लिए तैयार हो गए हैं। राज्यभर में छठ पूजा की तैयारियों के लिए उत्साह का माहौल दिखाई दे रहा है। घाटों की सफाई, सजावट और पूजा सामग्री की व्यवस्था के साथ ही श्रद्धालु धार्मिक रस्मों में जुट गए हैं। नहाय-खाय के बाद खरना और अस्ताचलगामी व उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा के अनुसार व्रत किए जाते हैं, लेकिन इस धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव के बीच राजनीति भी सुर्खियों में रही। आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने एनडीए सरकार पर तीखी प्रतिक्रिया दी और उसे ‘झूठ के बेताज बादशाह और जुमलों के सरदार’ करार दिया। उन्होंने छठ महापर्व के अवसर पर रेलवे सेवाओं को लेकर सरकार पर सवाल उठाए।
दावा केवल ‘सफेद झूठ’ था
लालू यादव ने अपने X अकाउंट (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट शेयर करते हुए कहा कि बिहार के लिए छठ पर्व पर सरकार ने दावा किया था कि कुल 13,198 ट्रेनों में से लगभग 12,000 ट्रेनें चलेंगी। लेकिन उनके अनुसार यह दावा केवल ‘सफेद झूठ’ था। उन्होंने लिखा कि बिहार में पलायन की समस्या झेल रहे लोगों के लिए यह स्थिति बेहद कष्टदायक है क्योंकि पर्व के दौरान भी राज्यवासियों को सुचारू रेलवे सेवा नहीं मिल पा रही है।
अन्य राज्यों का रुख करते हैं बेरोजगार
उन्होंने आगे तंज कसा कि डबल इंजन सरकार की गलत नीतियों के कारण हर साल चार करोड़ से अधिक लोग बिहार से रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों का रुख करते हैं। लालू यादव ने कहा कि यूपीए सरकार के बाद एनडीए सरकार ने बिहार में कोई बड़ा उद्योग स्थापित नहीं किया। बिहार विरोधी रवैया दर्शाता है। उनका यह आरोप स्पष्ट रूप से बिहारवासियों के प्रति सरकारी उदासीनता पर केंद्रित था।
12,000 स्पेशल ट्रेनें चलाने की घोषणा की थी
रेलवे विभाग ने त्योहारों के अवसर पर यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए 12,000 स्पेशल ट्रेनें चलाने की घोषणा की थी। इन विशेष ट्रेनों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि श्रद्धालु पर्व के समय अपने घरों तक आसानी से पहुँच सकें। रेलवे ने कई पूजा विशेष ट्रेनें भी चलाने की योजना बनाई थी।ट्रेनें पर्याप्त रूप से नहीं चल रही हालांकि, लालू यादव ने इस योजना पर भी सवाल उठाए और दावा किया कि ट्रेनें पर्याप्त रूप से नहीं चल रही हैं। उनका तर्क है कि राज्यवासियों को यात्रा के दौरान अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जो सरकार की नीतियों की विफलता और बिहार के प्रति उदासीनता को दर्शाता है।
सांस्कृतिक परंपराओं का निर्वहन कर रहे हैं
राजनीतिक बयान और धार्मिक पर्व के बीच यह प्रतिक्रिया दर्शाती है कि चुनावी और सामाजिक मुद्दे अलग-अलग दृष्टिकोण से जनता तक पहुंचते हैं। इस दौरान छठ महापर्व की तैयारियों में श्रद्धालु घाटों पर जुटकर पूजा अर्चना और सांस्कृतिक परंपराओं का निर्वहन कर रहे हैं।
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