देहरादून. पूर्व सीएम हरीश रावत ने चकबंदी कानून को लेकर धामी सरकार पर हमला बोला है. हरीश रावत ने कहा, उत्तराखण्ड 25 वर्ष का होने जा रहा है. इस अवसर पर विधानसभा का 2 दिन का सत्र भी हो रहा है, जिसमें राष्ट्रपति महोदया का भी संबोधन होगा. 1 दिन विधानसभा में कुछ बुनियादी सवालों पर भी चर्चा हो. क्या इस चर्चा में चकबंदी भी विशेष तौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में चकबंदी भी एक विषय होगा? मेरे मुख्यमंत्री रहते हुए हमारी सरकार ने 2016 में विधानसभा में चकबंदी को लेकर कानून पारित करवाए. उसके बाद 2017 से 2025 वर्ष में हम प्रवेश कर गए हैं, भाजपा सरकार में चकबंदी के उस कानून पर न आगे कारवाई हुई, न सार्थक बातचीत हुई.

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आगे पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा, आज धीरे-धीरे हमारी खेती मर रही है और हमारी जड़ों से हमारी पहचान का एक बड़ा संकट पैदा हो गया है. गांव में बंजर पड़ी जमीन पर घने जंगल उग आए हैं. कल जो हमारा अधिकार था, कहीं सरकार के कानूनों के नाम पर हम अपनी उन जमीनों पर से अपने अधिकार को न खों दें. ये डर पलायन को मजबूर हर एक उत्तराखंडी को सता रहा है. निसंदेह आज की घड़ी में चकबंदी एक अहम मुद्दा है, जिस पर सिर्फ बात नहीं, काम होना चाहिए.

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हरीश रावत ने ये भी कहा कि इस बार उत्तराखंड विधानसभा में इस पर विस्तृत चर्चा हो कि इसको जल्द से जल्द कैसे लागू किया जा सकता है तो मैं समझता हूं कि हम एक कदम आगे बढ़ेंगे और अपनी मिट्टी के साथ, अपनी जड़ों और मूल पहचान को जोड़ने में सफल होंगे.