China-US Trade Deal: जब दुनिया दो महाशक्तियों की टकराहट से थर्रा रही थी, तभी बीजिंग और वॉशिंगटन ने अचानक मिलकर एक ऐसा समझौता किया जिसने वैश्विक व्यापार संतुलन को हिला दिया. चीन ने Rare Earth मेटल्स पर लगे कड़े निर्यात नियंत्रण हटाने का फैसला किया है, जबकि अमेरिका ने बदले में नए टैरिफ रोकने की घोषणा की है.
इस “रियायत के बदले राहत” वाले सौदे को कुछ विश्लेषक एक रणनीतिक युद्धविराम (Strategic Truce) कह रहे हैं, यानी बिना हार-जीत घोषित किए दोनों पक्षों ने अपने-अपने हथियार नीचे रख दिए हैं.
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चीन का कदम: निर्यात खुला, जांच बंद (China-US Trade Deal)
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाइट हाउस ने एक फैक्ट शीट जारी की है जिसमें बताया गया है कि चीन अब Rare Earth Elements जैसे गैलियम, जर्मेनियम, एंटीमनी और ग्रेफाइट के निर्यात पर ढील देगा. अप्रैल 2025 और अक्टूबर 2022 में लगाए गए नियंत्रण अब प्रभावी रूप से हटा दिए जाएंगे.
इतना ही नहीं, चीन उन अमेरिकी चिप कंपनियों पर भी जांच खत्म करेगा जिन्हें अब तक “राष्ट्रीय सुरक्षा” के नाम पर निशाना बनाया गया था. विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम चीन के औद्योगिक विश्वास को बहाल करेगा और अमेरिकी टेक सेक्टर को एक नई ऊर्जा देगा.
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अमेरिका का जवाबी प्रस्ताव
इस सौदे के जवाब में अमेरिका ने चीन पर लगाए गए “रेसिप्रोकल टैरिफ” को एक अतिरिक्त साल के लिए रोकने की घोषणा की है. यानी फिलहाल दोनों देशों के बीच नए व्यापारिक युद्ध की संभावना टल गई है.
अमेरिका ने नवंबर से लागू होने वाले 100% अतिरिक्त टैरिफ को भी स्थगित कर दिया है. व्हाइट हाउस ने यह भी बताया कि सेक्शन 301 के तहत जो वस्तुएं फिलहाल टैरिफ छूट में आती हैं, उनकी अवधि 10 नवंबर 2026 तक बढ़ा दी गई है.
ट्रंप-जिनपिंग डील का बैकड्रॉप (China-US Trade Deal)
यह समझौता दक्षिण कोरिया में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद सामने आया. यह ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की पहली आमने-सामने की बैठक थी.
दोनों नेताओं के बीच हुई यह “साइलेंट डिप्लोमेसी” वैश्विक बाजारों के लिए बड़ी राहत लेकर आई. बैठक के बाद ट्रंप ने टैरिफ में 10% की कटौती की घोषणा भी की. इससे अमेरिकी निवेशकों को तुरंत राहत मिली और एशियाई बाजारों में तेजी दर्ज की गई.
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फेंटेनाइल और नई प्रतिबद्धता
ट्रंप ने कहा कि अगर चीन फेंटेनाइल और इससे बनने वाले रासायनिक पदार्थों के निर्यात पर रोक जारी रखता है, तो अमेरिका फेंटेनाइल से जुड़े सभी टैरिफ हटाने पर विचार करेगा.
बदले में चीन ने अमेरिकी सोयाबीन और कृषि उत्पादों की खरीद फिर से शुरू करने की सहमति दी है. आने वाले तीन वर्षों तक चीन हर साल 2.5 करोड़ मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदने का वादा कर चुका है.
सौदे का असली मतलब क्या है? (China-US Trade Deal)
भले ही यह सौदा वैश्विक स्तर पर “विन-विन” प्रतीत होता है, लेकिन विश्लेषक मानते हैं कि यह भू-आर्थिक कूटनीति का नया अध्याय है.
चीन Rare Earth मेटल्स में ढील देकर अमेरिकी सेमीकंडक्टर बाजार तक अप्रत्यक्ष पहुंच बनाएगा, जबकि अमेरिका टैरिफ स्थगन के जरिए अपनी सप्लाई चेन को स्थिर रखेगा. यानी दोनों पक्ष पीछे नहीं हटे, बस अगले झटके से पहले एक-दूसरे को सांस लेने का मौका दिया है.
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