कुंदन कुमार/दरभंगा। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच महागठबंधन के भीतर बगावत की गूंज अब खुले तौर पर सुनाई देने लगी है। दरभंगा जिले की गौरा बौराम विधानसभा सीट से राजद (RJD) के नेता अफजल अली खान को पार्टी ने बड़ा झटका दिया है। राजद ने उन्हें अनुशासनहीनता और गठबंधन विरोधी गतिविधियों के आरोप में 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया है।

बगावत पड़ी भारी

दरअसल, इस बार गौरा बौराम सीट महागठबंधन के सीट बंटवारे में विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के खाते में गई थी। वीआईपी ने यहां से अपने प्रमुख नेता और पार्टी संस्थापक मुकेश सहनी के भाई संतोष साहनी को उम्मीदवार बनाया है, लेकिन आरजेडी के स्थानीय नेता अफजल अली खान, जो 2020 में इसी सीट से राजद प्रत्याशी रहे थे, पार्टी के इस फैसले से नाराज थे। उन्होंने महागठबंधन की नीति के खिलाफ जाकर स्वतंत्र रूप से चुनावी तैयारी शुरू कर दी थी।

प्रचार भी शुरू कर दिया

राजद ने कई बार उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन अफजल न केवल अपने बयान पर कायम रहे, बल्कि लगातार अपने समर्थकों के साथ प्रचार भी शुरू कर दिया। पार्टी ने इसे गंभीर अनुशासनहीनता मानते हुए तत्काल प्रभाव से 6 साल के लिए निलंबित करने का फैसला लिया।

बर्दाश्त नहीं किया जाएगा

राजद के प्रदेश नेतृत्व ने इस कार्रवाई को एक कड़ा संदेश बताते हुए कहा है कि जो भी नेता गठबंधन उम्मीदवारों के खिलाफ काम करेंगे उन पर बिना किसी देरी के कठोर कदम उठाया जाएगा। पार्टी सूत्रों ने बताया कि तेजस्वी यादव खुद इस मामले पर नजर रखे हुए थे। उन्होंने संगठन से साफ कहा है कि इस चुनाव में गठबंधन धर्म से समझौता नहीं किया जाएगा।

नेताओं के लिए भी चेतावनी

सूत्रों के अनुसार, राजद की यह कार्रवाई उन नेताओं के लिए भी चेतावनी है, जो अन्य सीटों पर भी असंतोष का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। राजद का यह निर्णय साफ करता है कि पार्टी अनुशासन और एकता से किसी तरह की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेगी।

गौरा बौराम सीट बनी प्रतिष्ठा की लड़ाई

गौरा बौराम सीट इस बार महागठबंधन और एनडीए दोनों के लिए अहम मानी जा रही है। वीआईपी के उम्मीदवार संतोष साहनी को अब राजद का पूरा समर्थन हासिल है। पार्टी उम्मीद कर रही है कि इस बार गठबंधन की एकजुटता से जीत सुनिश्चित होगी। वहीं अफजल अली खान के निलंबन के बाद इलाके की सियासी समीकरणों में हलचल बढ़ गई है। कई स्थानीय कार्यकर्ता अब यह तय करने की स्थिति में हैं कि वे पार्टी लाइन पर रहेंगे या अफजल के साथ खड़े होंगे।

हारकर भी रहे चर्चा में

अगर पिछला चुनाव देखा जाए तो 2020 में गौरा बौराम सीट पर विकासशील इंसान पार्टी (VIP) की उम्मीदवार स्वर्णा सिंह ने जीत हासिल की थी। उन्हें 59,538 वोट (41.26%) मिले थे, जबकि राजद के अफजल अली खान को 52,258 वोट (36.21%) मिले थे। दोनों के बीच 7,280 वोटों का अंतर रहा था। तीसरे स्थान पर लोजपा (LJP) के राजीव कुमार ठाकुर थे, जिन्हें 9,123 वोट (6.32%) मिले। बाकी निर्दलीय उम्मीदवार बहुत पीछे रह गए थे। अफजल अली खान हालांकि हार गए थे, लेकिन अपने प्रभावशाली जनाधार के कारण वे लगातार इस क्षेत्र में सक्रिय रहे। इस बार उन्होंने फिर से दावा ठोका, मगर गठबंधन अनुशासन के आगे उनकी राह बंद हो गई।