कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। हिंदू धर्म में यूं तो साल भर त्योहार और मंदिरों पर पूजा अर्चना होती रहती है। लेकिन देश में एक ऐसा मंदिर भी है जो साल में सिर्फ एक बार ही खुलता है। यहां मौजूद भगवान की पूजा भी सिर्फ 24 घंटे के लिए ही की जाती है।
हिंदू धार्मिक मान्यताओं में कार्तिक पूर्णिमा बहुत बड़ा पर्व माना जाता है। इस दिन देवों के सेनापति और भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय स्वामी की जन्म हुआ था। उनके जन्म की इस तिथि पर उनकी पूजा का विशेष महत्व है। लेकिन ये पूजा सिर्फ साल में इसी दिन की जाती है। यही वजह है कि यह पूजा साल भर नहीं सिर्फ 24 घंटे के लिए इस दिन की जाती है।
दरअसल, मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भगवान कार्तिकेय स्वामी का अनोखा मंदिर है। आज कार्तिक पूर्णिमा पर एक बार फिर मंदिर का पट सुबह चार बजे से भक्तों के दर्शन के लिए खोले गए। यहां सुबह से ही भक्तों का तांता लगना शुरु हो गया था। करीब 402 साल पुराना यह देश का इकलौता मंदिर है, जहां भगवान कार्तिकेय के साथ गंगा-यमुना-सरस्वती की त्रिवेणी मूर्ति भी स्थापित की गई है।
अनोखा मंदिर ग्वालियर के जीवाजीगंज में स्थित है। यहां कार्तिकेय स्वामी की 6 मुखी प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के पुजारी अनुज शर्मा का कहना है कि भगवान कार्तिकेय के साल में एक बार ही दर्शन होते है। देर रात मंदिर के अंदर पुताई, सफाई और भगवान कार्तिकेय काअभिषेक किया गया। फिर उनका श्रंगार हुआ,जिसके बाद भक्तों के लिए दर्शन शुरू किए गए।

साल में एक बार क्यों होती है भगवान कार्तिकेय की पूजा?
बता दें कि इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान कार्तिकेय और भगवान गणेश के बीच तीन लोकों की परिक्रमा करने की प्रतियोगिता हुई। जिसमें भगवान गणेश ने अपनी बुद्धि से शिव-पार्वती की परिक्रमा कर उसे जीत लिया और वह प्रथम देव कहलाए। इस बात से नाराज होकर भगवान कार्तिकेय अज्ञात स्थान पर तपस्या करने चले गए थे। जब शिव, पार्वती उन्हें मनाने पहुंचे तो उन्होंने खुद को ही श्राप दिया कि जो स्त्री उनके दर्शन करेगी, वह सात जन्म तक विधवा हो जाएगी। वहीं जो पुरूष दर्शन करेगा, वह सात जन्म तक नर्क में जाएगा।
बाद में जब माता पार्वती ने उनसे कहा कि ऐसा कोई दिन बताएं जब आपके दर्शनों का भक्तों को लाभ मिल सके। तब भगवान कार्तिकेय ने कहा कि मेरे जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा पर जो भक्त मेरे दर्शन करने आएगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। तभी से मान्यता अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान कार्तिकेय भक्तों को दर्शन देते हैं।
भक्तों के लिए 24 घंटे तक खुले इस मंदिर में पूजा अर्चना कर कार्तिकेय भगवान की प्रतिमा को कपड़े से ढंककर दरवाजे पर ताला लगा दिया जाएगा। इसके बाद उनका पट अगले साल कार्तिक पूर्णिमा पर ही खुलेगा। जिसका इंतजार सभी श्रद्धालुओ को साल भर रहेगा।
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