अमित पांडेय. डोंगरगढ़. धर्मनगरी डोंगरगढ़ का माहौल एक बार फिर गर्म है. मां बम्लेश्वरी मंदिर, जो सदियों से आस्था का केंद्र रहा है, अब आरोपों और प्रत्यारोपों के जाल में फंस गया है. बीती नवरात्र की पंचमी से शुरू हुआ विवाद अब एक संगठित साज़िश की शक्ल लेता जा रहा है. गोंड समाज का कहना है कि मंदिर ट्रस्ट समिति “मूलनिवासियों की आवाज़ दबाने और समाज को बांटने” का षड्यंत्र रच रही है. (डोंगरगढ़ ट्रस्ट और गोंड समाज विवाद)
नवरात्र की पंचमी से शुरू हुआ विवाद, अब पहुंचा चरम पर


पंचमी पूजा के दिन गर्भगृह में आंगादेव और ट्रस्ट का निर्माण करने वाले राजपरिवार के राजकुमार के प्रवेश को लेकर शुरू हुआ यह विवाद अब प्रदेशभर में चर्चा का विषय बन गया है. गोंड समाज का कहना है कि मंदिर परंपरा में हमेशा से उनका स्थान रहा है, लेकिन ट्रस्ट समिति अब “आस्था को रसूख में बदलने” की कोशिश कर रही है. गोंड समाज का मानना है कि आंगादेव स्वयं भगवान का स्वरूप हैं और माता बमलाई राजकुमार भवानीबहादुर की कुल देवी हैं. ऐसे में ट्रस्ट इन दोनों पर कार्यवाही करने के लिए दबाव बना रही हैं और षड्यंत्र रच रही है , जबकि भक्त और भगवान पर कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती. गोंड महासभा के अध्यक्ष रमेश उइके ने तीखे शब्दों में कहा- “सबसे पहले ट्रस्ट समिति ने सर्व हिंदू समाज के नाम पर गोंड समाज का विरोध करवाया. जब बात नहीं बनी, तो अब उन्होंने कुछ ‘ख़रीदे हुए आदिवासी’ सामने ला दिए हैं, ताकि भ्रम फैलाया जा सके.”
“फर्ज़ी प्रेस कॉन्फ़्रेंस” का आरोप, एमडी ठाकुर पर निशाना
सोमवार को मंदिर परिसर में हुई प्रेस कॉन्फ़्रेंस, जिसमें एमडी ठाकुर और कुछ अन्य लोगों ने समाज की ओर से बयान दिया था, अब खुद सवालों के घेरे में है. रमेश उइके का आरोप है कि “यह प्रेस वार्ता पूरी तरह फर्ज़ी थी. एम.डी. ठाकुर समाजिक चुनाव हार चुके हैं और उनका गोंड समाज से कोई संबंध नहीं है. उनका ये भी आरोप है कि वे ट्रस्ट के इशारे पर समाज को तोड़ने का काम कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि – “जो लोग उस दिन मंच पर बैठे थे, वे कभी भी पंचमी भेट या गोंड समाज के किसी भी धार्मिक-सामाजिक कार्यक्रम में नहीं देखे गए. यह पूरा खेल समाज को विभाजित करने और मूलनिवासियों की एकता तोड़ने की कोशिश है.”
गोंड समाज का कहना है कि पंचमी पूजा के बाद समाज पूरी तरह एकजुट है और किसी भी उकसावे या समझौते की बात से पीछे नहीं हटेगा. “ट्रस्ट समिति लगातार यह भ्रम फैला रही है कि आदिवासी समाज मंदिर में अशांति फैला रहा है, जबकि असल में हम तो अपनी परंपरा और सम्मान की रक्षा कर रहे हैं, उन्होंने आगे चेतावनी दी- “हम मूलनिवासी हैं, मां बम्लेश्वरी हमारी आराध्य देवी हैं. हमारी आस्था पर किसी का कब्ज़ा नहीं चलेगा. ट्रस्ट को यह याद रखना चाहिए कि मंदिर जनता की आस्था का केंद्र है, किसी रसूखदार का निजी संपत्ति नहीं.”
8 नवंबर को निर्णायक बैठक, 15 नवंबर को आंदोलन की तैयारी
गोंड समाज ने 8 नवंबर को डोंगरगढ़ तहसील में एक बड़ी बैठक बुलाने की घोषणा की है, जिसमें आंदोलन की आगे की रणनीति तय की जाएगी.
एम.डी. ठाकुर (प्रदेश अध्यक्ष, जनजातीय गौरव समाज) ने कहा था कि —
“नवरात्र के दौरान जो घटना हुई, वह कुछ व्यक्तियों की व्यक्तिगत हरकत थी, पूरे समाज की नहीं। रेवाडीह की महापंचायत किसी संगठन विशेष की थी, गोंड़ समाज की नहीं। ट्रस्ट समिति को भंग करने या आरक्षण की मांग से हमारा कोई संबंध नहीं है। मां बम्लेश्वरी देवी सबकी आराध्य हैं -किसी एक समाज की नहीं। मंदिर में किसी समाज का ध्वज लगाना गलत है क्योंकि मंदिर का अपना धार्मिक ध्वज होता है। गर्भगृह में जबरन प्रवेश आस्था नहीं, अपमान है। चाहे निर्माण किसी के पूर्वजों ने कराया हो, अब यह ट्रस्ट के अधीन है और ट्रस्ट पदाधिकारियों को भी वहां अनुमति नहीं है। 15 नवंबर के प्रस्तावित प्रदर्शन में किसी भी आदिवासी समाज की सहमति नहीं है, गोंड़, कंवर और हल्बा समाज इसका विरोध करते हैं। समाज को भ्रामक प्रचार या उकसावे में न आने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि ट्रस्ट समिति में आदिवासी समाज के सदस्य पहले से हैं और सदस्यता प्रक्रिया सभी के लिए खुली है -जो चाहे नियमों के तहत सदस्य बन सकता है।”

