हेमंत शर्मा, इंदौर। lalluram.com की पड़ताल में इंदौर आरटीओ का काला चेहरा बेनकाब हुआ है। यहां एक सेकंड क्लास क्लर्क ही पूरे भ्रष्टाचार का सूत्रधार बना हुआ है। इस क्लर्क के पास अधिकारी का पैसा जमा होता है और उसके अधीन 30 से ज्यादा लड़कों का नेटवर्क काम करता है जो वसूली, दलाली और फाइल पासिंग का पूरा खेल चलाते हैं। इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि पिछले दिनों फर्जी 40 से 50 लाइसेंस के मामले सामने आए थे जिसमें क्लर्क का एक व्यक्ति दो लाख लेकर भी फरार हो गया है जिसके लिए अब कई दलाल परेशान भी हो रहे।
अधिकारी के इशारे पर नहीं, क्लर्क की मर्जी से चलती हैं फाइलें
नामांतरण, लाइसेंस जैसे हर काम का रेट तय है। जो पैसा नहीं देता, उसकी फाइल महीनों तक दबा दी जाती है। जांच में जानकारी के मुताबिक आरटीओ के अधिकारी की पूरी वसूली इसी क्लर्क के पास पहुंचती है। यानी सिस्टम में अफसर नाम के हैं, लेकिन असली बॉस तो क्लर्क है।
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परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह से लल्लूराम डॉट कॉम ने की बातचीत
जब lalluram.com ने इस पूरे भ्रष्टाचार के मामले में परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह से बात की, तो उन्होंने साफ कहा “अगर आपके पास प्रमाण हैं तो हमें दीजिए, और अगर वे सही पाए गए तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।” मंत्री ने माना कि इस तरह की शिकायतें पहले भी आती रही हैं लेकिन ठोस सबूत न मिलने के कारण कार्रवाई नहीं हो पाती।
अब सबकी नजर मंत्री की कार्रवाई पर
इंदौर आरटीओ में खुलेआम हो रहे भ्रष्टाचार का यह नेटवर्क अब राज्य स्तर तक पहुंच चुका है। lalluram.com के पास मौजूद सबूत अब यह तय करेंगे कि क्या मंत्री सच में कार्रवाई करते हैं या यह मामला भी पुराने मामलों की तरह दबा दिया जाएगा।
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