जगदलपुर। पालनार पखांजूर और नगरनार मामले को लेकर आदिवासी समाज सरकार को घेरने 6 सितंबर को बंद का ऐलान किया था जो कि संभाग मुख्यालय में  इसका असर मिला जुला रूप से देखने को मिला . प्रातः 10:00 बजे पूर्व विधायक राजाराम तोडम बंद की अपील करते हुए शहर पर निकले थे .
इस दौरान संजय मार्केट में  कुछ  व्यापारियों के साथ कहा सुनी हो गई किंतु फिर  तोडेम के निवेदन पर प्रतिष्ठाने बंद हुई! दूसरी तरफ बस्तर पुलिस के बड़े अधिकारी सुबह से ही अप्रिय स्थिति निपटने के लिए डटे रहे इन पंक्तियों के लिखे जाने तक किसी भी प्रकार की अप्रिय वारदात की खबर नहीं है.  लाउडस्पीकर लगी वाहन में बैठकर पदाधिकारी घूमते रहे किंतु जिस प्रकार की सफलता बंद को लेकर मिलनी थी वह देखने को नहीं मिला.
सर्व आदिवासी समाज के बस्तर जिले के अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने आदिवासी भवन से मोर्चा संभाला हुआ था जबकि पूर्व विधायक राजा राम तोड़ेम शहर में घूम-घूमकर व्यापारियों से समर्थन मांगते हुए देखे गए.
ज्ञात हो कि दंतेवाड़ा जिले के पालनार में केंद्रीय पुलिस सुरक्षा बल के जवानों ने रक्षाबंधन के 2 दिन पूर्व छेड़खानी की थी वहीं दूसरी घटना आदिवासी दिवस के दिन पखांजूर में आदिवासी और बंगाली समुदाय के बीच वर्ग संघर्ष हुआ था. इस मामले को लेकर 6 सितंबर को बंद का आयोजन किया गया था जो कि सफल रहा.  दूसरी तरफ जगदलपुर संभाग मुख्यालय में बंद का असर देखने को नहीं मिला प्रतिदिन की भांति गुमटी ठेले भी  खुले रहे बड़े-बड़े प्रतिष्ठान भी  सुबह से  खुले हुए थे.
मेन रोड और गोलबाजार की दुकानें रही बंद
आदिवासी समाज के बंद को बस्तर चेंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा समर्थन दिए जाने के कारण मेन रोड और गोलबाजार की दुकानें बंद थी. बंद को देखते हुए नगर पुलिस अधीक्षक निमेश बरैय्या अपने मातहतों के साथ डटे रहे इस दौरान प्रशिक्षु पुलिस के राजपत्रित अधिकारी भी घूमते हुए देखे गए.
बस्तर संभाग मुख्यालय का सबसे बड़ा बाजार संजय बाजार आम दिनों की तरह भरा रहा व्यापारी सब्जी विक्रेता सब्जी के फुटकर विक्रेता और गांव गांव से आने वाले सब्जी उत्पादक भी पहुंचे.  संजय बाजार के  सब्जी मार्केट में बोली लगी तो वही चिकन मटन  के दुकान भी खुले हुए देखे गए.

कांकेर में बंद का व्यापक असर

बुधवार को बस्तर बंद का व्यापक असर देखा गया. पखांजूर में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर आदिवासी समुदाय के साथ बंगाली समाज के लोगो का विवाद हुआ था. जिसके बाद पखांजूर थाने में आदिवासी समाज के पदाधिकारियों के खिलाफ बंगाली समाज के लोगों ने एफआईआर दर्ज कराया था और अगले दिन 10  अगस्त को परलकोट बंद कराया था. इसी बात से नाराज आदिवासियों ने बस्तर बंद कराया है.

बंद को जिला चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भी समर्थन दिया था. इस दौरान स्वास्थ्य सेवाएं जारी रही क्योंकि उन्हें बंद से छूट दी गई थी. पखांजूर इलाके में पुलिस द्वारा सुरक्षा बढ़ा दी गई. हालांकि शहर की सड़को पर यातायात सामान्य दिनों की तरह ही रहा. आदिवासी समुदाय के युवा सुबह से ही घूम-घूम कर बंद कराने में जुटे हुए थे.

इस दौरान आदिवासी नेता सोहन पोटाई ने बंद को पूर्ण सफल करार दिया और कहा कि किसी भी कीमत पर आदिवासी समाज पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. स्थानीय आदिवासी नेताओं का दावा है कि बस्तर में आदिवासी अल्पसंख्यक हो गए हैं. क्योंकि परलकोट में ही बंग शरणार्थियों के क़रीब 135 गांव हैं और आदिवासियों के 132 गांव है. आदिवासियों का कहना है कि भारत की वैध नागरिकता के बगैर बांग्लादेशी घुसपैठिये बस्तर में कैसे निवासरत है.