पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का शोर अब थम चुका है। दो चरणों में मतदान पूरा हो गया है और अब सबकी निगाहें 14 नवंबर पर टिकी हैं, जब नतीजे आएंगे और यह तय होगा कि बिहार की सत्ता पर किसका कब्जा होगा। लेकिन इस चुनाव में एक चीज़ ने सबका ध्यान खींचा – नेताओं का हेलीकॉप्टर और चौपर प्रचार।

हेलीकॉप्टर प्रचार बना सियासत का नया ट्रेंड

इस बार के चुनाव में राजनीतिक दलों ने परंपरागत प्रचार तरीकों से हटकर हवाई प्रचार को मुख्य हथियार बनाया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सभी दलों ने मिलकर हेलीकॉप्टर और चौपर पर करीब 72 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए। 16 अक्टूबर से ही पटना एयरपोर्ट की उड़ानों में अचानक भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई। एनडीए, महागठबंधन और अन्य दलों ने सत्ता की जंग जीतने के लिए आसमान को ही रणक्षेत्र बना दिया। आंकड़ों के अनुसार, पटना एयरपोर्ट से प्रतिदिन औसतन 25 हेलीकॉप्टर उड़ान भर रहे थे। अब तक 600 से अधिक हेलीकॉप्टर और 40 चौपर उड़ चुके हैं। वहीं, लैंडिंग और डिपार्चर मिलाकर 1,200 से अधिक मूवमेंट दर्ज किए गए।

हर दिन लाखों की उड़ान

जानकारी के अनुसार, प्रत्येक हेलीकॉप्टर पर प्रतिदिन लगभग 12 लाख रुपये का खर्च आया, जिसमें GST भी शामिल है। हर हेलीकॉप्टर ने औसतन रोज़ाना 4 से 5 घंटे की उड़ान भरी। यानी कुल मिलाकर 3,000 घंटे से अधिक की उड़ानें इस चुनावी प्रचार में दर्ज की गईं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह पहली बार हुआ है जब बिहार जैसे राज्य में हवाई प्रचार इतने बड़े पैमाने पर हुआ। इसने न सिर्फ चुनावी रणनीति को बदला बल्कि प्रचार के स्तर को भी ऊंचा कर दिया।

रणनीति, प्रचार और जनता की पसंद

हवाई प्रचार से उम्मीदवारों की दृश्यता और पहुंच में जबरदस्त इजाफा हुआ। नेताओं ने गांव-गांव और शहर-शहर में ताबड़तोड़ सभाएं कीं, जिससे जनता तक सीधा संदेश पहुंचा। हालांकि, अब सवाल यह है कि इस महंगे हवाई प्रचार का फायदा आखिर किस दल को मिलेगा? इसका जवाब 14 नवंबर को आने वाले नतीजों में छिपा है।