दिल्ली के लाल किले के बाहर कार में हुए आतंकी विस्फोट ने मामले को और गंभीर बना दिया है। इस घटना में अब दिल्ली पुलिस भी बड़े आतंकी नेटवर्क की आशंका के चलते साजिश (कांस्पिरेसी) के एंगल से गहराई से जांच कर रही है। पुलिस ने इस संबंध में एक और FIR दर्ज की है, जो UAPA व IPC की साजिश से जुड़ी धाराओं के तहत दर्ज की गई है। इससे पहले, 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए विस्फोट के तुरंत बाद पहली FIR दर्ज की गई थी। वहीं अब दूसरी FIR यह संकेत देती है कि पुलिस को साजिश के व्यापक नेटवर्क और संभावित सहयोगियों को लेकर नए इनपुट मिले हैं। बीते सोमवार को हुए इस कार बम धमाके में 13 लोगों की जान चली गई थी, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए थे। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि कार के परखच्चे उड़ गए और आसपास खड़ी कई गाड़ियों को भी नुकसान पहुंचा।

दिल्ली कार बम विस्फोट की जांच में CBI और ED भी शामिल

दिल्ली कार बम विस्फोट मामले की जांच का दायरा अब और बढ़ गया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, वित्तीय लेनदेन और मनी लॉन्ड्रिंग के संभावित एंगल की जांच के लिए सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) को भी इस मामले में शामिल किया गया है। वहीं, एनआईए, हरियाणा पुलिस, दिल्ली पुलिस, जम्मू-कश्मीर पुलिस और यूपी एटीएस की संयुक्त टीमें गुरुवार को व्यापक तलाशी अभियान में जुटी रहीं। इस कार्रवाई के दौरान कुछ और संदिग्ध डॉक्टरों को हिरासत में लिया गया, जबकि चार कारों को जब्त किया गया है। माना जा रहा है कि इन वाहनों का इस्तेमाल कथित रूप से लाल किला विस्फोट मामले में किया गया था।

जांचकर्ताओं ने दावा किया है कि डॉक्टरों से जुड़े इस टेरर मॉड्यूल की योजना 6 दिसंबर को एक बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम देने की थी। शुरुआती जांच में सामने आया है कि इस मॉड्यूल में कुल आठ डॉक्टर सक्रिय रूप से शामिल थे, जो अपनी पहचान और पेशे के कवच का इस्तेमाल करते हुए साजिशों को अंजाम देने की कोशिश कर रहे थे।

एजेंसियों के अनुसार, यह मॉड्यूल पूरे दिल्ली-एनसीआर में 32 स्थानों पर हमलों की योजना बना रहा था। पकड़े गए आरोपियों के डिजिटल उपकरणों, चैट्स और रिकवरी के आधार पर यह संकेत मिला है कि मॉड्यूल कई महीनों से एक संगठित नेटवर्क की तरह काम कर रहा था।

जांचकर्ताओं ने जैश-ए-मोहम्मद के डॉक्टर मॉड्यूल से अब कुल चार कारों का सीधा संबंध जोड़ लिया है। फरीदाबाद क्राइम ब्रांच ने इन सभी वाहनों को बरामद कर लिया है। सूत्रों के अनुसार, जब्त की गई कारों में पहली स्विफ्ट डिज़ायर है, जो डॉ. शाहीन के नाम पर रजिस्टर्ड है, लेकिन वास्तविक रूप से डॉ. मुज़म्मिल इसका इस्तेमाल करता था। यही वह कार है जो सबसे पहले पकड़ी गई थी और जिसमें से हथियार भी बरामद किए गए थे।

दूसरी कार वही i20 बताई जा रही है, जिसे कथित रूप से दिल्ली कार बम विस्फोट में इस्तेमाल किया गया था। तीसरी कार इकोस्पोर्ट है, जो फरीदाबाद से मिली, जबकि चौथी ब्रेज़ा को भी जांच एजेंसियों ने कब्ज़े में ले लिया है। चारों वाहनों की बरामदगी के बाद इस पूरे टेरर मॉड्यूल की गतिविधियों की जांच तेज़ी से आगे बढ़ रही है, और एजेंसियां इन गाड़ियों से मिले डिजिटल व भौतिक सबूतों का विश्लेषण कर रही हैं।

सूत्रों के अनुसार, मुख्य आरोपी डॉ. मुज़म्मिल, डॉ. आदिल, डॉ. उमर और डॉ. शाहीन ने मिलकर करीब 20 लाख रुपये नकद जुटाए, जिसे बाद में डॉ. उमर नबी को सौंप दिया गया। जांच में सामने आया है कि इसी राशि में से 3 लाख रुपये का इस्तेमाल बाद में IED तैयार करने के लिए किया गया। एजेंसियों के अनुसार, इस रकम से गुरुग्राम और नूंह के क्षेत्रों से 20 क्विंटल से अधिक NPK खाद खरीदी गई थी, जिसका उपयोग विस्फोटक सामग्री तैयार करने में किया गया।

जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि डॉ. उमर और डॉ. मुज़म्मिल के बीच पैसों को लेकर विवाद चल रहा था, जिसका सीधा संबंध मॉड्यूल की फंडिंग से बताया जा रहा है। वारदात की योजना और आतंकी गतिविधियों के समन्वय के लिए डॉ. उमर ने एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप ‘सिग्नल’ पर एक सीक्रेट ग्रुप बनाया था, जिसमें चुनिंदा दो से चार सदस्य जुड़े हुए थे।

जांच एजेंसियों को फरीदाबाद के आतंकी नेटवर्क के बारे में शुरुआती जानकारी डॉ. आदिल की गिरफ्तारी से मिली थी। पता चला है कि वह कथित घटनाओं से ठीक पहले, 11 अक्टूबर को श्रीनगर से दिल्ली आया था। यह यात्रा उसकी संलिप्तता की पुष्टि करती है। इधर, डॉ. शाहीन से पूछताछ के दौरान एक और नाम डॉ. फ़ारूक  सामने आया है, जिसकी भूमिका भी अब एजेंसियों की रडार पर है। डॉ. शाहीन को लखनऊ से हिरासत में लिया गया था, और जांच में यह भी उजागर हुआ कि डॉ. मुज़म्मिल जिस कार का इस्तेमाल करता था, वह डॉ. शाहीन के नाम पर रजिस्टर्ड थी। एक टीम हापुड़ भेजी गई थी और डॉ. फारूक को जीएस मेडिकल कॉलेज से हिरासत में लिया गया। डॉ. फारूक ने अल-फलाह विश्वविद्यालय से पढ़ाई की थी।

दिल्ली धमाके की साजिश की जांच कर रही एजेंसियों को अल-फलाह यूनिवर्सिटी से बरामद दो डायरियों में अहम सुराग मिले हैं। सूत्रों के अनुसार ये डायरियां संदिग्ध आतंकियों डॉ. उमर नबी और डॉ. मुजम्मिल के कमरों से मिली हैं, जिनमें “ऑपरेशन” शब्द से जुड़े कई कोड वर्ड दर्ज पाए गए हैं। एजेंसियां इन कोडवर्ड्स की तह में जाकर समझने की कोशिश कर रही हैं कि इन्हें किस संदर्भ में तैयार किया गया था और साजिश के किस चरण से जुड़ा था। एक वरिष्ठ सूत्र ने बताया, “दोनों डायरियां मंगलवार और बुधवार को अल-फलाह यूनिवर्सिटी कैंपस से बरामद की गईं। पहली डायरी डॉ. उमर के कमरा नंबर 4 से मिली, जबकि दूसरी डायरी डॉ. मुजम्मिल के कमरा नंबर 13 से जब्त की गई।”

जांच में सामने आया है कि कमरा नंबर 13 संदिग्धों की गतिविधियों का मुख्य ठिकाना था। यही वह स्थान था जहां आरोपी कथित तौर पर मिलकर आईईडी तैयार करने की योजना बनाते थे और साजिश के विभिन्न चरणों पर चर्चा करते थे। डॉ. मुजम्मिल के कमरे से मिली दूसरी डायरी में भी कई संदिग्ध विवरण दर्ज मिले हैं, जिनका विश्लेषण किया जा रहा है। एजेंसियां मान रही हैं कि ये डायरियां पूरे मॉड्यूल की संरचना, उनकी बैठकों और ऑपरेशन के चरणों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। फिलहाल दोनों डायरियों को फॉरेंसिक और साइबर विशेषज्ञों के पास भेजा गया है, ताकि इनके पीछे छिपे कोड और संकेतों को डिकोड किया जा सके।

सूत्र ने बताया, “बरामद की गई डायरियों और नोटबुक में कोड वर्ड लिखे हैं, जिनमें 8 नवंबर से 12 नवंबर के बीच की तारीखों का उल्लेख है। डायरियों में ‘ऑपरेशन’ शब्द कई बार लिखा है।” एजेंसियों को शक है कि ये कोडवर्ड दिल्ली-एनसीआर में कई स्थानों पर हमले की साजिश से जुड़े हो सकते हैं।

उधर, विस्फोट मामले में एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। लाल किले पर विस्फोट स्थल से लगभग 500 मीटर दूर स्थित एक व्यस्त बाजार के गेट की छत पर एक कटा हुआ हाथ मिलने से हड़कंप मच गया। शरीर का यह हिस्सा देखने के बाद पुलिस ने तुरंत इलाके को सील कर दिया और फॉरेंसिक टीमों को मौके पर बुलाया गया। पुलिस यह जांच कर रही है कि कटा हुआ हाथ विस्फोट में मारे गए किसी व्यक्ति का है या घटनास्थल के आसपास किसी अन्य वारदात से जुड़ा हुआ है। शुरुआती जांच के अनुसार, विस्फोट की तीव्रता के कारण शरीर के हिस्सों के दूर तक जाने की भी संभावना हो सकती है, लेकिन अन्य आपराधिक एंगल को भी खारिज नहीं किया जा रहा।

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