अनुराग शर्मा, सीहोर। शहर की गलियों और सड़कों पर इन दिनों स्ट्रीट डॉग का आतंक लगातार बढ़ रहा है। रात के समय किसी का अकेले घर से निकलना खतरे से खाली नहीं है। कई बार ये आवारा कुत्ते झुंड बनाकर चलने वालों को घेर लेते हैं और उन पर झपट पड़ते हैं। शहर के स्टेशन रोड, गंज क्षेत्र, मछली बाजार, पुराना इंदौर रोड और अस्पताल क्षेत्र ऐसे हॉटस्पॉट हैं जहां रात को बाइक सवारों का पीछा करते स्ट्रीट डॉग रोज देखे जा सकते हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए तो यह हालात और भी डरावने हो चुके हैं।

अस्पताल और स्कूलों में भी झुंड बनाकर घूमते हैं कुत्ते

न केवल सड़कों पर, बल्कि सरकारी अस्पताल, स्कूल और कॉलेज परिसरों में भी आवारा कुत्तों का कब्जा है। मरीजों और अभिभावकों को रोजाना डर के साए में अस्पतालों में रहना पड़ता है। कई बार तो वार्डों के बाहर तक कुत्ते आ जाते हैं। बुधनी और इछावर में तो हाल ही में अस्पताल के भीतर और स्कूलों के पास बच्चों पर कुत्तों के हमले के मामले सामने आए, जिनसे लोगों में गुस्सा और भय दोनों है।

 सुप्रीम कोर्ट ने दिया कड़ा आदेश

देशभर में बढ़ती घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि शैक्षणिक संस्थानों और अस्पताल परिसरों से आवारा कुत्तों को तत्काल हटाया जाए। इन परिसरों की चारदीवारी कर कुत्तों की एंट्री रोकनी होगी और पकड़े गए कुत्तों को वहीं दोबारा छोड़ा नहीं जा सकेगा। कोर्ट ने सड़कों और हाइवे से आवारा मवेशियों को हटाने के लिए भी विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया है।

कब-कहां बरपा कुत्तों का आतंक

● 10 अप्रैल 2025: आष्टा में पांचवी कक्षा के छात्र हस्सान पर चार कुत्तों ने हमला किया।
● 20 जून 2025: बुधनी में छह वर्षीय देवराज पर झपटे स्ट्रीट डॉग।
● 6 नवंबर 2025: इछावर बाजार में आमीन खां के छह साल के बेटे को कुत्ते ने पैर में काटा।
● 7 नवंबर 2025: इछावर शासकीय अस्पताल के गार्ड कैलाश सिंह पर डॉग का हमला, अस्पताल परिसर में ही घायल।

इन घटनाओं से साफ है कि अब आवारा कुत्तों का खतरा हर उम्र और हर क्षेत्र में मंडरा रहा है।

हर महीने 350 से ज्यादा शिकार, रेबीज वैक्सीन की मांग बढ़ी

सीहोर जिल में हर महीने औसतन 300 से 350 कुत्ते के काटने के केस दर्ज होते हैं। अकेले जिला अस्पताल में 150 तक मरीज रेबीज वैक्सीन लगवाने पहुंचते हैं। बाकी मरीज निजी अस्पतालों का रुख करते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि नगर पालिका अगर समय-समय पर कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण अभियान चलाए तो इन मामलों में कमी लाई जा सकती है, लेकिन फिलहाल ऐसा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

प्रशासन की सफाई

नगर पालिका सीएमओ सुधीर श्रीवास्तव का कहना है कि समय-समय पर कुत्तों को पकड़ने के अभियान चलाए जाते हैं, पर सुप्रीम कोर्ट की नई गाइडलाइन के मुताबिक राज्यस्तरीय योजना आने के बाद ही ठोस कार्रवाई होगी। मगर जनता पूछ रही है कि क्या तब तक लोग डर में जीते रहेंगे? शहर में बच्चों का स्कूल जाना, बुजुर्गों का मंदिर जाना या मरीजों का अस्पताल पहुंचना  सब एक खतरे का सफर बन गया है। लोग अब उम्मीद कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शायद प्रशासन जागे और सड़कों पर फैला यह खौफ खत्म हो सके।

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