मथुरा. ब्रज क्षेत्र में तैयार की जाने वाली ठाकुरजी की जरी पोशाक को अब जीआई टैग (भौगोलिक सूचकांक) मिल गया है. स्थानीय पेड़ा और सांझी कला के बाद यह तीसरा उत्पाद है, जिसे यह मान्यता प्राप्त हुई है.

मुकुट में प्रयोग होने वाली जरी शामिल

इस टैग में विशेष रूप से ठाकुर जी के मुकुट में प्रयोग होने वाली जरी को शामिल किया गया है. उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि जीआई टैग से इस पारंपरिक कला को नया बाजार, पहचान और संरक्षण मिल सकेगा.

मथुरा के मुस्लिम कारीगर भी लंबे समय से जुड़े

इस शिल्प में मथुरा के मुस्लिम कारीगर भी लंबे समय से जुड़े हुए हैं, जबकि अधिकांश महिलाएं पोशाक की कढ़ाई और अन्य बारीक काम करती हैं.

मेरठ के बिगुल को भी मिला GI टैग

वहीं मेरठ कए बिगुल को भी GI टैग मिला है. ये बिगुल सिर्फ एक वाद्य यंत्र है, बल्कि भारत के स्वतंत्रता इतिहास का एक प्रमुख प्रतीक भी है. 1857 की क्रांति में बिगुल की गूंज ने स्वतंत्रता संग्राम की आग प्रज्ज्वलित की थी.

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H