Business Leader : न्यूज़ 24 MPCG में 16 नवंबर को प्रसारित होने वाले साक्षात्कार में श्री गणेशा ग्लोबल गुलाल प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन उमंग गोयल ने News 24 MPCG और lalluram.com के सलाहकार संपादक संदीप अखिल से अपने प्रेरणादायी जीवन, व्यवसायिक यात्रा और सामाजिक दृष्टिकोण पर विस्तार से बातचीत की। उन्होंने बताया कि किस तरह एक पारंपरिक उत्पाद—“गुलाल”—को उन्होंने विज्ञान, संस्कृति और आत्मनिर्भरता से जोड़कर न सिर्फ नया रूप दिया, बल्कि छत्तीसगढ़ को विश्व स्तर पर गौरव दिलाया।

एक पारिवारिक विरासत से शुरू हुई प्रेरक यात्रा

उमंग गोयल ने अपने साक्षात्कार में बताया कि “श्री गणेशा गुलाल” की नींव 1974 में उनके पिता राजेश्वर शरण गोयल ने रखी थी। उनका लक्ष्य था कि भारत के त्योहारों की पवित्रता बनी रहे और लोग सुरक्षित व शुद्ध रंगों से होली मनाएं।
उमंग ने कहा —“हमारे लिए गुलाल कोई साधारण उत्पाद नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा है।” बाद में इस विरासत को उमंग गोयल और उनके भाई अनुज गोयल ने आधुनिक रूप दिया। जहां उमंग ने कंपनी को तकनीक और सामाजिक दृष्टिकोण से सशक्त बनाया, वहीं अनुज ने इसके वैश्विक व्यापार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

शिक्षा और सोच – व्यवसाय से परे एक दृष्टि

1971 में जन्मे उमंग गोयल का पालन-पोषण एक सुसंस्कृत व्यापारी परिवार में हुआ। वे बचपन से ही परिश्रमी और संवेदनशील रहे। उन्होंने बैंगलोर से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और दिल्ली से एक्सपोर्ट मैनेजमेंट में शिक्षा प्राप्त की।
साक्षात्कार में उन्होंने कहा —“व्यापार केवल लाभ कमाने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज और संस्कृति की सेवा का अवसर है।” यही सोच उन्हें पारंपरिक गुलाल व्यवसाय को आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जोड़ने की प्रेरणा देती रही।

हर्बल गुलाल की दिशा में नवाचार की मिसाल

साक्षात्कार में उमंग गोयल ने बताया कि जब देश में रासायनिक रंगों से त्वचा और पर्यावरण को नुकसान होने लगा, तब उन्होंने इस चुनौती को अवसर में बदला। उन्होंने लखनऊ स्थित NBRI (नेशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट) से भारत की पहली हर्बल गुलाल तकनीक का लाइसेंस प्राप्त किया।फूलों और जड़ी-बूटियों से गुलाल बनाने की प्रक्रिया शुरू की और “श्री गणेशा” को एक पर्यावरण-अनुकूल ब्रांड के रूप में स्थापित किया। अब कंपनी हर्बल गुलाल, सिंदूर, अगरबत्ती, परफ्यूम और ईको-फ्रेंडली पटाखों तक का निर्माण करती है।उन्होंने कहा —“हमने साबित किया कि परंपरा को विज्ञान से जोड़ा जाए तो व्यापार और समाज दोनों लाभान्वित होते हैं।”

महिला सशक्तिकरण की दिशा में उदाहरणीय कार्य

साक्षात्कार में उमंग गोयल ने बताया कि उनकी कंपनी ने छत्तीसगढ़ सरकार के सहयोग से 800 से अधिक महिला स्व-सहायता समूहों को रोजगार दिया है।
इन महिलाओं को गुलाल, अगरबत्ती, धूप और पूजा सामग्री के उत्पादन का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया गया।
उनके अनुसार —“जब महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत होती हैं, तब पूरा समाज सशक्त होता है।”

वैश्विक पहचान – भारत से दुनिया तक ‘श्री गणेशा’ की चमक

उमंग ने साझा किया कि उनके छोटे भाई अनुज गोयल ने एक्सपोर्ट प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाली और कंपनी ने 32 देशों में अपनी पहुंच बनाई।
आज श्री गणेशा ग्लोबल गुलाल प्रा. लि. डिज़नी और मार्वल जैसी वैश्विक कंपनियों के साथ साझेदारी कर रही है। इनकी एक्सक्लूसिव पैकेजिंग में मिकी माउस, आयरन मैन, और डोनाल्ड डक जैसे किरदार शामिल हैं।
यूरोप और अमेरिका में होने वाले कलर रन फेस्टिवल में भी श्री गणेशा गुलाल की बड़ी मांग है।
उमंग ने गर्व से कहा —“हमने छत्तीसगढ़ की मिट्टी से निकले रंगों को विश्व मंच तक पहुंचाया है।”आज उनके पुत्र आयुष्मान गोयल, जिन्होंने न्यूजीलैंड से शिक्षा पूरी की है, कंपनी की नई पीढ़ी का नेतृत्व संभाल रहे हैं। इस तरह परिवार की तीन पीढ़ियों का योगदान इस सफलता की कहानी को और सशक्त बनाता है।

फूलों से पूजा तक – पर्यावरण के प्रति संवेदनशील सोच

उमंग गोयल ने साक्षात्कार में बताया कि कंपनी ने मंदिरों में चढ़े फूलों की रिसाइक्लिंग पहल शुरू की है। इन फूलों से गुलाल, अगरबत्ती, धूप और समब्रानी कप्स बनाए जाते हैं। इससे न केवल कचरे की समस्या कम होती है बल्कि स्वच्छता अभियान और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को भी बल मिलता है।उन्होंने कहा —“हर फूल को नया जीवन देना ही हमारी संस्कृति के प्रति सच्चा सम्मान है।”

सरकारी सहयोग और राष्ट्रीय गौरव

साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि हाल ही में कंपनी को CSIR Startup Conclave 2025, लखनऊ में प्रधानमंत्री की उपस्थिति में हर्बल टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का अवसर मिला।
छत्तीसगढ़ सरकार ने भी श्री गणेशा ग्रुप को राज्य के महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया है।
यह उपलब्धि न केवल कंपनी के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए गौरव का विषय है।

उमंग गोयल के जीवन के दूसरे रंग

व्यवसायिक उपलब्धियों के साथ उमंग गोयल का व्यक्तित्व धार्मिक और सामाजिक मूल्यों से गहराई से जुड़ा है। वे एक सनातनी साधक, मैडिटेशन प्रेमी और गौ सेवक हैं।
उन्होंने कहा —“सफलता तभी सार्थक है जब उसमें संस्कार और सेवा की भावना जुड़ी हो।”

भविष्य की योजनाएं

उमंग गोयल ने बताया कि उनका सपना है कि आने वाले वर्षों में रायपुर, दुर्ग, धमतरी और राजनांदगांव में नए उत्पादन केंद्र स्थापित किए जाएँ।
उनका लक्ष्य है कि छत्तीसगढ़ को हर्बल और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों का ग्लोबल हब बनाया जाए और 5000 से अधिक महिलाओं को स्थायी रोजगार मिले।
वे चाहते हैं कि भारत के हर त्योहार में केवल स्वदेशी, सुरक्षित और प्राकृतिक रंगों का उपयोग हो।साक्षात्कार के अंत में उमंग गोयल ने कहा —“हमारा उद्देश्य केवल रंग बेचना नहीं, बल्कि लोगों के जीवन में खुशियों और सुरक्षा के रंग भरना है।”

वास्तव में श्री गणेशा ग्लोबल गुलाल प्रा. लि. एक कंपनी से बढ़कर एक आंदोलन है —एक ऐसा आंदोलन जो परंपरा को आधुनिकता से, पर्यावरण को उद्योग से और समाज को आत्मनिर्भरता से जोड़ता है।

उमंग गोयल ने यह साबित किया है कि जब व्यवसाय में संवेदनशीलता, संस्कृति और सतत विकास की भावना जुड़ जाती है, तो वही राष्ट्र के गौरव का प्रतीक बनता है।
निस्संदेह, वे छत्तीसगढ़ रत्न कहलाने के योग्य हैं — ऐसे उद्योगपति जिन्होंने परंपरा को प्रगति में बदलकर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का रंग रच दिया है।