शिखिल ब्यौहार, भोपाल. अधिकारियों की लापरवाही अकसर सरकार की कवायदों को पलीता लगा देती हैं. दरअसल, यहां बात हो रही है स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की. राजधानी भोपाल के टीटी नगर स्थित एरिया बेस्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में अकसर विवादों में घिरे रहने वाली स्मार्ट सिटी ने ऐसी मनमानी की हजारों करोड़ के निवेश पर ही संकट खड़ा हो गया है. दरअसल, रियल स्टेट सेक्टर के न्यायिक प्राधिकरण रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) ने रोक लगा दी है. कारण सालों बाद भी 342 एकड़ के प्रोजेक्ट में मालिकाना हक समेत रियल स्टेट प्रोजेक्ट के पूरे कागजात ही स्मार्ट सिटी कंपनी पेश नहीं कर पाई. ऐसे में करोड़ों का निवेश भी अकटा पड़ा है. इतना ही नहीं बल्कि सरकारी निर्माण एजेंसियों में शामिल हाउसिंग बोर्ड भी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में बिजनेस पार्क का निर्माण नहीं कर पा रहा है.
मामले में शिकायतकर्ता राशिद नूर खान ने बताया कि पहले भी रेरा समेत स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन में अनियमितता को लेकर शिकायत दर्ज कराई गई थीं. न तो रेरा की शर्तों को माना गया था न ही राजस्व के नियमों पर अमल किया गया. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में अफसरों की मनमानी से निवेश का बड़ा प्रोजेक्ट ही फेल हो चुका है. स्मार्ट सिटी के अफसरों को गलतियों के कारण ही भोपाल में निवेश का एक शानदार प्रोजेक्ट अटका. उन्होंने कहा कि रेरा से इस बात की गुहार लगाई गई है कि स्मार्ट सिटी न सिर्फ कंपनी पर जुर्माना लगाया जाए बल्कि ब्याज समेत राशि वापसी का प्रावधान करते हुए दोषी अफसरों पर कार्रवाई की जाए.
अर्बन एक्सपर्ट कमल राठी ने बताया कि स्मार्ट सिटी, नगर निगम, विकास प्राधिकरण समेत अन्य तमाम सरकारी निर्माण एजेंसियां अपने आपको शासन मान लेती है. लिहाजा नियमों का पालन नहीं किया जाता और निवेशकों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि जब तक मालिकाना हक के तमाम कागजात नहीं होंगे तब तक नामांतरण भी संभव नहीं हो सकेगा. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का पूरा जोर इस दौर में निवेश पर दिखाई देता है. अफसरों की मनमानी निवेशकों पर भारी पड़ जाती है. यदि लापरवाही न बरती गई होती तो शहर की इस प्रोजेक्ट के तहत निवेश को लेकर अलग दिशा और गति होती.
कांग्रेस का आरोप
शहर की बड़ी प्लानिंग को पलीता लगाने वाले जिम्मेदार भले ही कुछ भी बोलने बताने से बच रहे हो लेकिन मामले पर सियासत शुरू हो गई है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि विवादों की स्मार्ट सिटी में प्रदेश का एक भी शहर स्मार्ट नहीं हो पाया. राजधानी में निवेशकों कमीशन के इस खेल में परेशान हो रहे हैं. यदि करोड़ों के कमीशन का खेल पूरा कर लिया होता तो रेरा समेत किसी भी सरकारी महकमे में ऐसी उलझन सामने नहीं आती. आरोप यह भी लगाया कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का मतलब ही मिली भगत का खेल है.
बीजेपी ने किया पलटवार
उधर, बीजेपी ने मामले पर पलटवार करते हुए कहा कि प्रदेश में सरकार ने निवेश के लिए ही तमाम आयामों को सरल किया है. प्रदेश सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है. निवेश समेत किसी भी मामले में नियम विरुद्ध अवरोध को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
ऐसा नहीं कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में यह पहला मामला हो जब जिम्मेदारों की गहरी नींद और मनमानी का खामियाजा ऐसे प्रोजेक्ट उठा रहा हो, जो शहर की सूरत के साथ निवेश के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता था. खुद को शासन मानकर बैठना और नियमों को ताक पर रखना अब भारी पड़ता नजर आ रहा है. जरूरत है सिस्टम में सुधार की, सुधार के लिए ठोस, पुख्ता कार्रवाई की.
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