पुरी: पुरी के प्रतिष्ठित श्री जगन्नाथ मंदिर में बुधवार को पवित्र देव दीपावली अनुष्ठान और उत्सव शुरू हो गए, जिसके साथ तीन दिनों तक भक्ति, प्रकाश और परंपरा का उत्सव मनाया जाएगा. मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्दशी, अमावस्या और प्रतिपदा को मनाया जाने वाला यह उत्सव भगवान जगन्नाथ द्वारा अपने पूर्वजों के लिए किए गए अनुष्ठानों का सम्मान करता है.

मंदिर परिसर हजारों दीपों से जगमगा उठा है, जिनकी सुनहरी चमक पवित्र स्थल पर एक दिव्य आभा बिखेर रही है. भक्तों ने श्रद्धापूर्वक भगवान जगन्नाथ को 16 से 18 हाथ लंबे भव्य नागापुरी पट्टे में प्रकट होते देखा. भगवान बलभद्र ने 14 हाथ लंबी धोती पहनी हुई थी, जबकि देवी सुभद्रा ने 12 हाथ लंबी साड़ी पहनी हुई थी.

तीन दिनों तक, देवता मानव सदृश अनुष्ठान करते हैं, दीपदान करते हैं और विशेष श्राद्ध बेशा पोशाक धारण करते हैं. इसके बाद सेवक रत्न सिंहासन पर विराजमान भगवान को दीप अर्पित करते हैं. मंदिर के एक सेवक ने बताया, “ये वो दिन होते हैं जब भगवान अपने पूर्वजों को याद करते हैं, जिससे यह अवसर बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है.”

परंपरा के अनुसार, देवता हर दिन अलग-अलग दिव्य पूर्वजों का सम्मान करते हैं, अदिति और कश्यप से लेकर राजा दशरथ और रानी कौशल्या तक, और अंत में वसुदेव-देवकी, नंद-यशोदा और राजा इंद्रद्युम्न-रानी गुंडिचा तक. मंत्रोच्चार और दीप प्रज्वलन के साथ होने वाले ये अनुष्ठान आस्था और विरासत का एक ऐसा नजारा पेश करते हैं जो भक्तों को मंदिर की शाश्वत चमक में खींच लाता है.