बेंगलुरु में एक ऐसी वारदात सामने आई जिसने पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को सकते में डाल दिया। करीब 5–6 अज्ञात बदमाशों ने खुद को आरबीआई अधिकारी बताकर एक बख़्तरबंद कैश वैन को रोका और 7.1 करोड़ रुपये लेकर फरार हो गए। पूरी कार्रवाई इतनी व्यवस्थित और तेज़ थी कि वैन के कर्मचारियों को एक पल के लिए भी शक नहीं हुआ।

फर्जी जांच का जाल: ऐसे वैन को रोका गया

दोपहर करीब 12:30 बजे CMS Info Systems की कैश वैन HDFC बैंक, जेपी नगर से तीन कैश बॉक्स लेकर एचबीआर लेआउट की ओर जा रही थी। तभी जयनगर के अशोक पिलर के पास एक मारुति जेन ने वैन को ओवरटेक कर अचानक रोक दिया। कुछ ही सेकंड बाद पीछे से एक इनnova भी आकर खड़ी हो गई।

मारुति जेन से उतरे तीन बदमाशों ने खुद को आरबीआई अधिकारी बताते हुए स्टाफ से कहा कि कंपनी नियमों का उल्लंघन कर रही है, इसलिए पूछताछ करनी होगी। आरोपियों ने इतनी विश्वसनीयता से बात की कि वैन में मौजूद ड्राइवर बिनोद कुमार, कस्टोडियन आफताब, और गनमैन राजन्ना व तम्मैया उनके झांसे में आ गए। वे अपनी राइफलें वैन में ही छोड़कर आरोपियों की एमयूवी में बैठ गए।

दूसरी चाल: पुलिस स्टेशन भेजने का बहाना

एमयूवी में बैठे बदमाशों ने वैन स्टाफ से कहा कि पूछताछ पुलिस स्टेशन में होगी और कैश बॉक्स को आरबीआई ऑफिस भेजा जाएगा। इसके बाद उन्होंने ड्राइवर को निर्देश दिया कि वह वैन लेकर डेयरी सर्किल फ्लाइओवर पर जाकर इंतज़ार करे। वहीं बाकी स्टाफ को कहा गया कि वे पैदल ही सिद्धापुर पुलिस स्टेशन पहुंचें। संदेह न होने के कारण पूरा स्टाफ बदमाशों के बताए निर्देशों का पालन करता रहा।

सिर्फ 3 मिनट में कैश गायब

डेयरी सर्किल पर वैन खड़ी करके इंतज़ार कर रहे ड्राइवर के सामने अचानक एक कार आकर रुकी। कार से उतरे बदमाशों ने हथियार दिखाते हुए तीनों कैश बॉक्स वैन से बाहर निकाले और उन्हें पास खड़ी एक अन्य वैन में डाल दिया। इसके बाद पूरा गैंग उसी वैन में बैठकर फरार हो गया, जबकि जिस गाड़ी में वे पहले आए थे उसे वहीं छोड़ दिया। कुछ देर बाद ड्राइवर को एहसास हुआ कि जिन लोगों को वह आरबीआई अधिकारी समझ रहा था, वे असल में पेशेवर लुटेरे थे।

पुलिस के हाथ देर से लगती शिकायत

बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर सीमांत कुमार सिंह ने बताया कि CMS कंपनी ने शिकायत दर्ज कराने में देरी की, जिसकी वजह से शुरुआती महत्वपूर्ण सुराग हाथ से निकल गए। उन्होंने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने आठ विशेष जांच टीमें गठित की हैं और पूरे शहर में अलर्ट जारी कर दिया गया है। उधर, एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि बदमाशों की एमयूवी के आगे भारत सरकार का लोगो लगा हुआ था, जिससे स्टाफ को उन पर भरोसा हो गया। हालांकि जांच में सामने आया है कि वाहन की नंबर प्लेट फर्जी थी।

हर एंगल से जांच जारी

पुलिस सभी CCTV फुटेज, संदिग्ध वाहनों के नंबर, मोबाइल लोकेशन और गैंग की गतिविधियों की बारीकी से जांच कर रही है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि लुटेरों ने वारदात को बेहद सटीक योजना के तहत अंजाम दिया और घटनास्थलों का चुनाव भी सोच-समझकर किया गया था। इन तथ्यों के आधार पर पुलिस को संदेह है कि इस लूट में किसी प्रोफेशनल और संगठित गिरोह की भूमिका हो सकती है।

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