देश में सबसे कम समय में अपने फैसलों के बजाए बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले बीआर गवई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पद से रिटायर हो गए हैं. इसी के साथ 40 साल पहले शुरू हुई न्यायिक यात्रा का अंत हो गया है. रिटायर होने के बाद उन्होंने कहा कि वह अब कोई सरकारी पद नहीं लेंगे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि अगर आप सरकार के पक्ष में कोई फैसला देते हैं तो आप स्वतंत्र जज नहीं हैं. इसके साथ ही उन्होंने SC, ST के लिए आरक्षण में भी क्रीमी लेयर की व्यवस्था लागू करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा है कि इससे आरक्षण का फायदा उन लोगों तक पहुंचने में मदद मिलेगी जिसे सचमुच इसकी बहुत जरूरत है.
गौरतलब है कि, जब उनसे पूछा गया कि किसी जज के घर में अगर पैसा मिलता है तो सीधे एफआईआर दर्ज होने या सीजेआई द्वारा कराए जाने के सवाल पर सीजेआई बीआर गवई ने कोई भी टिप्पणी करने से साफ इंकार कर दिया. दरअसल, दिल्ली के पूर्व न्यायाधीश यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकद जली हालत में बरामद किए गए थे. इसके बाद से ही यह मुद्दा गरम है.
राष्ट्रपति संदर्भ पर दिए गए फैसले पर क्या बोले गवई?
राष्ट्रपति संदर्भ पर दिए गए फैसले में राज्यपाल और राष्ट्रपति के विधेयकों को मंजूरी देने की अवधि तय नहीं की जा सकती, इस पर सीजेआई गवई ने कहा कि हमने दो सदस्यीय पीठ के फैसले को पलटा नहीं है, सिर्फ भविष्य के लिए राय में तय कर दिया है कि क्या होना चाहिए. सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि कॉलेजियम सिस्टम बेहतर है कार्यकारी के पास नियुक्ति प्रणाली होने के मद्देनजर.
सोशल मीडिया आजकल समस्या
सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि सोशल मीडिया आजकल समस्या हो गई है. हम जो नहीं बोलते हैं वह भी लिखा और दिखाया जाता है. लेकिन यह केवल न्यायपालिका के लिए समस्या नहीं इससे सरकार के बाकी अंग भी प्रभावित हैं.
बीआर गवई का रिटायरमेंट
जस्टिस BR गवई भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) थे. वे दलित समुदाय से आते हैं और जस्टिस केजी बालकृष्णन के बाद दूसरे दलित CJI रहे. उनका जन्म महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ. 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने. 14 मई 2025 को CJI का पद संभाला था.
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