मुजफ्फरपुर। एक बेहतर नौकरी और सुरक्षित भविष्य का सपना लिए नेपाल से आए जयकिशोर कापड़ को शायद अंदाजा भी नहीं था कि मुजफ्फरपुर में उनका इंतजार एक साजिश कर रही थी। नौकरी दिलाने का भरोसा दिलाकर उन्हें यहां बुलाया गया जहां कोल्हुआ पैगंबरपुर और बैरिया के किराए के कमरों में चल रहा था एक फर्जी ट्रेनिंग सेंटर जिसे असल में अंतरराष्ट्रीय फ्रॉड गिरोह चला रहा था।
कैसे टूटा भरोसा
जयकिशोर ने पुलिस को बताया कि उनसे करीब 2.20 लाख रुपये नकद और बैंक के माध्यम से लिए गए। शुरुआत में उन्हें लगा कि यह एक वैध प्रक्रिया है लेकिन जल्द ही ट्रेनिंग के दौरान उन्हें एहसास हुआ कि बाकी कई लोग भी उसी जाल में फंसे हुए हैं जिनसे मिलाकर करीब 6 लाख रुपये ठगे जा चुके थे। गिरोह पीड़ितों से कहता था कि नौकरी तभी पक्की होगी जब वे और लोगों को इस संस्था से जोड़ेंगे।
सपनों की ठगी से कानून की गिरफ्त तक
संदेह गहराने पर उन्होंने पैसा वापस मांगा, लेकिन आरोपियों ने टालना शुरू कर दिया। इसी टूटे भरोसे और हिम्मत के सहारे जयकिशोर ने अहियापुर थाना पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई। थाना अध्यक्ष रोहन कुमार ने विशेष टीम बनाकर कार्रवाई की और गिरोह के चार अंतरराष्ट्रीय सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। जांच में दो स्थानीय मकान मालिकों की मिलीभगत की आशंका भी सामने आई है। मुजफ्फरपुर पुलिस का कहना है कि यह सिर्फ ठगी का मामला नहीं बल्कि सपनों की खुली लूट थी-जिसे समय रहते रोका गया।
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