पटना। बिहार चुनाव में इस बार राहुल की यात्रा भी काम नहीं आई। मतदान से पहले कांग्रेस के नेताओं की यात्राओं में जबरदस्त भीड़ तो देखने को मिली लेकिन चुनाव के नतीजों में जनता ने पार्टी का साथ नहीं दिया। महागठबंधन और कांग्रेस दोनों को इस बार ​करारी हार का सामना करना पड़ा। हार के बाद अब पार्टियां कमियों को खोजने में लगी है।

61 प्रत्याशी मौजूद रहेंगे

हार के बाद कांग्रेस पार्टी अब हालात को संभालने और गहराई से आत्ममंथन करने में जुट गई है। 27 नवंबर को दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में एक अहम बैठक बुलाई गई है, जिसे बिहार कांग्रेस के लिए डैमेज कंट्रोल का सबसे बड़ा प्रयास माना जा रहा है। बैठक में बिहार कांग्रेस के सभी प्रमुख नेता, छह विधायक और चुनाव लड़ने वाले 61 प्रत्याशी मौजूद रहेंगे।

हार की कहानी सुनाएंगे

कांग्रेस ने 61 में से सिर्फ छह सीटें जीतीं, जिसके बाद सभी प्रत्याशियों को अपने-अपने क्षेत्र की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है। बैठक में हर उम्मीदवार को बताना होगा कि हार की वजहें क्या रहीं—स्थानीय मुद्दे कितने प्रभावी रहे, संगठन ने कहां साथ छोड़ा और किस स्तर पर रणनीति कमजोर साबित हुई। ये रिपोर्टें आगे की चुनावी रणनीति का आधार बनेंगी।

43 नेताओं को नोटिस

हार के बाद संगठन में फूट भी खुलकर सामने आई। टिकट बंटवारे को लेकर भड़की नाराज़गी शांत होने के बजाय और तेज हो गई। अनुशासनहीनता के आरोप में कांग्रेस 43 नेताओं को कारण बताओ नोटिस दे चुकी है, जबकि सात नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया। इसके बावजूद एक असंतुष्ट गुट दिल्ली में डेरा डाले हुए है और राहुल गांधी से मुलाकात की मांग कर रहा है।

हाईकमान के सामने रखेंगे

मुख्य सचिव, प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, शकील अहमद खान और कई वरिष्ठ नेता बैठक में मौजूद रहेंगे। सभी अपने-अपने क्षेत्र की तस्वीर पार्टी हाईकमान के सामने रखेंगे।