जयपुर। मानव अंग तस्करी व किडनी प्रत्यारोपण से जुड़े मामले में हाई कोर्ट ने सरकारी गवाह बने आरोपी को जमानत पर रिहा करने से मना कर दिया. अदालत ने कहा कि जब तक निचली कोर्ट में उसके बयान दर्ज नहीं होते जमानत नहीं दे सकते. वहीं अदालत ने निचली कोर्ट को कहा है कि वह आरोपियों पर चार्ज तय करने के लिए चार सप्ताह में निर्णय करें. चार्ज तय होने पर प्रार्थियों के बयान दर्ज किए जाएं. हालांकि अदालत ने प्रार्थियों को छूट दी है कि वे बयान दर्ज होने पर हाई कोर्ट में जमानत याचिका लगा सकते हैं. जस्टिस अनूप कुमार ठंड ने यह निर्देश बांग्लादेश निवासी नुरूल इस्लाम व एक अन्य की जमानत याचिका पर दिया.

अदालत ने कहा कि न्याय में देरी पीड़ित और अभियोजन पक्ष सहित आरोपी के हितों के भी विपरीत है. संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता और जल्दी सुनवाई का मौलिक अधिकार नागरिकों के साथ-साथ विदेशियों को भी है. आरोपियों ने जमानत याचिका में कहा कि जवाहर नगर थाना पुलिस ने पिछले साल मानव अंग तस्करी और किडनी प्रत्यारोपण में एफआईआर दर्ज की थी. इसमें प्राथर्थी सहित अन्य की गिरफ्तारी 23 अप्रैल, 2024 को हुई. मामले में चालान पेश होने पर अन्य आरोपियों की जमानत हो चुकी है. वे भी मामले में अब सरकारी गवाह बन चुके हैं और सहयोग कर रहे हैं. लेकिन निचली कोर्ट में आरोप तय नहीं होने से उन्हें जमानत नहीं मिल रही.
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