पटना। बिहार में नई एनडीए सरकार के गठन के बाद सियासत एक बार फिर करवट लेती दिख रही है। भारी बहुमत मिलने के बावजूद सत्ता गलियारे में ऐसी चर्चाए तेज हो गई हैं जिन्होंने हाशिये पर खड़ी छोटी पार्टियों की बेचैनी बढ़ा दी है। बसपा का आरोप है कि उसके एकमात्र विधायक को तोड़ने की कोशिशें जारी हैं एक ऐसा दावा जिसने न सिर्फ पार्टी में हलचल मचाई है बल्कि राज्य की राजनीतिक नैतिकता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
30 वोट से जीते थे बसपा विधायक
कैमूर के रामगढ़ सीट से बसपा उम्मीदवार सतीश कुमार सिंह यादव ने विधानसभा चुनाव में महज 30 वोटों से भाजपा प्रत्याशी अशोक कुमार सिंह को मात दी थी। इतनी कम बढ़त के बाद सीट पर स्वाभाविक रूप से राजनीतिक दबाव की आशंका बनी रहती है। इसी बीच बुधवार को पटना के महाराजा कॉम्प्लेक्स में हुई बसपा की बैठक में यह मसला खुलकर सामने आया।
लगातार संपर्क किया जा रहा है बिहार प्रभारी
बैठक में मौजूद बसपा के बिहार प्रभारी अनिल कुमार ने दावा किया कि सत्ता पक्ष के लोग लगातार संपर्क साध रहे हैं और विधायक सतीश यादव को अपने पक्ष में करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि उन्होंने साफ कहा कि पार्टी का विधायक किसी दबाव प्रलोभन या राजनीतिक सौदेबाज़ी के आगे झुकने वाला नहीं है।
पिछला अनुभव भी बढ़ा रहा बेचैनी
बसपा की चिंता यूं ही नहीं है। 2020 में चैनपुर से जीते बसपा विधायक जमा खान ने पार्टी छोड़कर जेडीयू का दामन थाम लिया था और मंत्री भी बने थे। इस बार वे फिर जेडीयू टिकट पर जीते हैं और दोबारा मंत्री बने हैं। यही इतिहास 2025 में जीते बसपा के एकमात्र विधायक को लेकर आशंका बढ़ा रहा है।
पार्टी ने सख्त रुख अपनाने का संकेत दिया
बैठक में नेतृत्व ने स्पष्ट किया कि किसी भी संभावित दलबदल को रोकने के लिए संगठन पूरी तरह सक्रिय है और विधायक के साथ लगातार संवाद बनाए रखा जा रहा है।
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