हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में नशे और अपराध के खिलाफ पुलिस कमिश्नर के दावों के बीच परदेशीपुरा थाना एक बार फिर सवालों के घेरे में है। पीड़ित युवक ने सीधे पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह को लिखित शिकायत सौंपते हुए थाना प्रभारी और जांच अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप है कि अपराधियों को बचाने के लिए FIR को जानबूझकर कमजोर बनाया गया, गंभीर धाराएं नहीं लगाई गईं और आरोपी खुलेआम पुलिस संरक्षण में घूमते रहे।

एक पूरा परिवार बना इलाके का ‘आतंक’

शिकायतकर्ता हर्ष जसोदिया का आरोप है कि परदेशीपुरा क्षेत्र में एक पूरा परिवार वर्षों से नशा, मारपीट, धमकी और अपराध का पर्याय बन चुका है। मनीष बैंडवाल, लव बैंडवाल, प्रीत बैंडवाल, यश बैंडवाल, भोला मरिया और निखिल मेहता पर आरोप है कि यह सभी नशे में वारदातें करते हैं और स्थानीय लोगों को डराकर पूरे इलाके पर कब्जा जमाए बैठे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इनका नाम सुनते ही लोग सहम जाते हैं।

पोस्को केस की ‘कीमत’ वसूलने पर उतरे आरोपी?

मामला तब और संवेदनशील हो गया जब सामने आया कि आरोपी लव बैंडवाल पर पहले से पोस्को एक्ट और बलात्कार जैसे गंभीर आरोप दर्ज हैं और यह मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है। शिकायतकर्ता हर्ष जसोदिया इस प्रकरण में पीड़िता की ओर से मुख्य गवाह हैं। इसी कारण आरोपी परिवार पूरे परिवार को खत्म करने की धमकी दे रहा है और गवाही से पीछे हटने का दबाव बना रहा है।

‘घर से बाहर निकलोगे तो जान से खत्म कर देंगे’

पीड़ित का आरोप है कि खुलेआम चाकू दिखाकर धमकियां दी गईं, घर से निकलने पर रोकने की कोशिश हुई, समझौते की धमकी दी गई और कहा गया कि “अगर कोर्ट में बयान दिया तो इलाके से गायब कर देंगे।” यह कोई एक दिन की घटना नहीं बल्कि महीनों से चल रही डराने-धमकाने की रणनीति है।

थाने में FIR लिखने से पहले मिन्नतें, फिर भी दी गई ‘कमजोर धाराएं’

महत्वपूर्ण यह है कि जब 22 नवंबर की रात पीड़ित पर नशे में हमला हुआ तो वह सीधा थाना परदेशीपुरा पहुंचा। आरोप है कि थाना प्रभारी रामदीन कानवा और प्रधान आरक्षक देवेंद्र यादव ने FIR लिखने से इनकार कर दिया। काफी दबाव और बहस के बाद रिपोर्ट तो दर्ज हुई, लेकिन जो धाराएं लगाई गईं, वह बेहद हल्की थीं। पीड़ित का साफ आरोप है कि मामला सामूहिक हमला, जान से मारने की धमकी और साजिश का था, लेकिन धारा जानबूझकर कमजोर रखी गई ताकि आरोपी आसानी से बच सकें।

‘पैसे लेकर बचाने’ का आरोप — थाने पर भ्रष्टाचार की सीधी चोट

सबसे सनसनीखेज आरोप यही है कि थाना प्रभारी ने यह तक कहा कि अगर सभी आरोपियों को नामजद किया गया तो गंभीर धारा लगेगी और आरोपी जेल जाएंगे, इसलिए बाद में धाराएं बढ़ाएंगे। पीड़ित ने यह भी आरोप लगाया कि पैसे के लेन-देन के चलते धाराएं कमजोर की गईं।

पहले से बदमाश, फिर भी खुलेआम आजाद

शिकायत में यह भी खुलासा हुआ है कि आरोपियों पर पहले से कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, फिर भी वे सड़कों पर घूमकर लोगों को धमका रहे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि आरोपी मनीष बैंडवाल खुद को क्षेत्र का गुंडा बताता है और राजनीतिक पहचान का भय दिखाकर डराता है।

अब सवाल इंदौर पुलिस से

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या थाना अपराधियों की ढाल बन चुका है? क्या गवाही देने वालों को इसी तरह कुचला जाएगा? क्या पुलिस पर लगे ये आरोप केवल ‘शिकायत’ बनकर फाइलों में दफन हो जाएंगे?

कमिश्नर से सीधी मांग

पीड़ित ने पुलिस कमिश्नर से मांग की है कि थाना प्रभारी और जांच अधिकारी की निष्पक्ष जांच हो, आरोपियों पर गंभीर धाराएं जोड़ी जाएं, परिवार को सुरक्षा दी जाए, और क्षेत्र को अपराधमुक्त किया जाए।

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