देहरादून. शीतकालीन चारधाम यात्रा को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत का बयान सामने आय़ा है. हरीश रावत ने कहा, “शीतकालीन चारधाम यात्रा” कैसे एक मोटिवेटर फैक्टर बन सके, इस पर हमारी इस यात्रा की सफलता निर्भर करती है. देवस्थल पहले से विद्यमान हैं, हमारे वेद–ग्रंथ कहते हैं कि शीतकाल में इन स्थलों पर देवता विराजमान हैं, उनके विग्रह वहां पर स्थापित हैं, नित्य पूजा-पाठ होती है. हम उसके साथ लोगों की आस्था को कैसे जोड़ें और इस शीतकालीन यात्रा के साथ हम अपने राज्य के प्राकृतिक सौंदर्य को, जो शीतकाल में और निखर आता है, उसको कैसे जोड़ें? और प्रकृति का कृपालु स्वरूप-अर्थात जब दिल्ली व देश के दूसरे हिस्से कोहरे से ढके रहते हैं, उस समय पहाड़ियां धूप से खिली रहती हैं. स्वच्छ हवा और एक बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा हो गया है, होम–स्टे का, छोटे–छोटे रिजॉर्ट्स व होटल्स का, उसको कैसे इसके साथ कनेक्ट किया जाए? राज्य के सांस्कृतिक स्वरूप को उसके व्यंजन, वस्त्र–आभूषण, शिल्प आदि से कैसे यात्रियों को जोड़ा जाए? उसके लिए कुछ रूपरेखा तो बननी चाहिए.
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हरीश रावत ने कहा, हम प्रधानमंत्री जी के आभारी हैं, वह हमारी शीतकालीन यात्रा और वेडिंग डेस्टिनेशन, दोनों को बार–बार दोहरा रहे हैं. मगर जो शक्ति मिल रही है, उस शक्ति को यात्रा के साथ कैसे जोड़ा जाए- यह हुनर तो राज्य में होना चाहिए. 2014 में जब हमने चारधाम शीतकालीन यात्रा प्रारंभ करने की बात कही, तो हमने उसके लिए एक SOP तैयार की, ताकि निर्धारित मानकों के अनुसार यात्रा प्रारंभ हो.
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आगे हरीश रावत ने कहा, कहीं ऐसा न हो कि हमारी शीतकालीन चारधाम यात्रा दारूबाजी से लेकर दूसरी जितनी बुराइयां हैं, उनका हिस्सा बन जाए! अभी हम यदि कोई निर्धारित मानक तैयार करेंगे, ऑपरेशनल मानक तैयार करेंगे और उसके अनुसार सारे स्टेकहोल्डर्स को जोड़ेंगे, तब यह यात्रा सुचारू और दीर्घकालिक रूप से राज्य के लिए अत्यधिक लाभदायक हो सकती है और होटल एसोसिएशन आदि के लोगों से भी आग्रह करना चाहूंगा, यदि उनको मेरा सुझाव पसंद आ रहा हो तो वे संबंधित लोगों से बात करें.
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