इंदौर। भारत में वैकल्पिक चिकित्सा के इतिहास में आज का दिन एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हुआ। देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथी द्वारा आयोजित “इलेक्ट्रो होम्योपैथी उत्सव 2025” न केवल एक चिकित्सा समारोह रहा, बल्कि यह डॉ. नन्द लाल सिन्हा की 136वीं जयंती पर शुरू हुए राष्ट्रीय चिकित्सा-अधिकार आंदोलन के रूप में दर्ज हो गया।
इस भव्य आयोजन में देशभर के इलेक्ट्रो होम्योपैथिक चिकित्सक, शोधकर्ता, कैंसर विशेषज्ञ, नीति निर्माता और मेडिकल छात्र शामिल हुए। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य रहा कैंसर रोगियों के दर्द-प्रबंधन में मॉर्फिन पर निर्भरता को कम करके, प्राकृतिक, सुरक्षित, लत–रहित विकल्प के रूप में इलेक्ट्रो होम्योपैथी को राष्ट्रीय स्वास्थ्य ढांचे में शामिल करने की मांग।”
सरकार ने पहली बार दिखाई गंभीरता, IDC को भेजे गए पत्र से उम्मीदें मजबूत
स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, भारत सरकार द्वारा 19 नवम्बर 2025 को भेजे गए महत्वपूर्ण पत्र ने पूरे आयोजन को नई ऊर्जा प्रदान की। पत्र में यह उल्लेख किया गया है कि, डॉ. अजय हार्डिया के सालों से भेजे जा रहे क्लिनिकल डेटा और मान्यता-संबंधी दस्तावेज IDC को दोबारा विचार के लिए भेज दिए गए हैं। साथ ही देवी अहिल्या हॉस्पिटल की निरीक्षण-याचिका पर भी विचार किया जाएगा। यह पहली बार है जब केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रो होम्योपैथी को लेकर औपचारिक रूप से सकारात्मक कदम आगे बढ़ाया है।

15,000+ कैंसर रोगियों का क्लिनिकल डेटा केंद्र सरकार तक पहुंचा, आंदोलन को मिली वैज्ञानिक मजबूती
मध्यप्रदेश रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथी ने भारत सरकार को PET-CT आधारित, CECT आधारित, बायो-एनर्जी इमेजिंग आधारित, कई मरीजों के उपचार और रिकवरी रिकॉर्ड प्रस्तुत किए हैं। कई मामलों में, विशेषकर उन्नत फेफड़े का कैंसर, लीवर कैंसर, मेटास्टेटिक स्तन कैंसर, गॉलब्लैडर कैंसर, टर्मिनल स्टेज मरीज, में आशाजनक परिणाम सामने आए हैं।
मॉर्फिन- मुक्त स्वास्थ्य क्रांति: कार्यक्रम की सबसे बड़ी पहल
कैंसर उपचार में मॉर्फिन-निर्भरता से जुड़ी समस्याएं – दवा की लत, मानसिक भ्रम, अत्यधिक नींद, सुस्ती, भावनात्मक अस्थिरता, जीवन-गुणवत्ता में भारी गिरावट, लम्बे समय से चिकित्सा जगत की चुनौती बनी हुई हैं।
इलेक्ट्रो होम्योपैथी को इस समस्या का “सहायक” विकल्प बताते हुए, विशेषज्ञों ने कहा, यह पद्धति पूरी तरह हर्बल, नॉन-टॉक्सिक, लत-रहित और ऊर्जा-आधारित है। इंदौर कैंसर हॉस्पिटल के अनुभव बताते हैं कि कुछ मॉर्फिन–निर्भर मरीजों में—दर्द में राहत, मानसिक स्थिरता, निर्भरता में कमी जैसे परिणाम देखने को मिले हैं। इसी आधार पर सरकार से पायलट प्रोजेक्ट की मांग रखी गई।
भारत का सबसे बड़ा चिकित्सा हस्ताक्षर अभियान शुरू
इस वर्ष का सबसे बड़ा आकर्षण रहा- “इलेक्ट्रो होम्योपैथी मान्यता हेतु राष्ट्रीय हस्ताक्षर अभियान।” इस अभियान की शुरुआत डॉ. अजय हार्डिया के नेतृत्व में हुई, जिसका उद्देश्य है, भारत के हर इलेक्ट्रो होम्योपैथिक चिकित्सक को ‘Dr.’ उपाधि का संवैधानिक अधिकार दिलाना और इस चिकित्सा प्रणाली को राष्ट्रीय स्वीकृति दिलाना। देशभर के डॉक्टरों की उत्साही भागीदारी ने इसे एक राष्ट्रीय जन आंदोलन का स्वरूप दिया।
इस दौरान देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल के निदेशक अजय हार्डिया ने कहा, “डॉ. एन.एल. सिन्हा केवल एक वैज्ञानिक नहीं, बल्कि चिकित्सा स्वतंत्रता के महापुरुष थे। आज देश में पहली बार इलेक्ट्रो होम्योपैथी के डेटा को लेकर सरकार की सकारात्मक प्रतिक्रिया आई है। हम वर्षों से पारदर्शी क्लिनिकल दस्तावेज भेजते आए हैं। अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार निरीक्षण करे और पायलट प्रोजेक्ट शुरू करे। हमारी टीम कई कैंसर मरीजों का रिकॉर्ड प्रस्तुत कर चुकी है। यह आंदोलन अब रुकने वाला नहीं, यह भारत में सुरक्षित, सस्ती और संवेदनशील चिकित्सा का भविष्य है।”
साथ ही देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल के सीईओ मनीषा शर्मा ने कहा- “आज का दिन केवल स्मरण का नहीं, बल्कि परिवर्तन का दिन है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी आने वाले समय की ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो मरीज की सुरक्षा, आराम और जीवन-गुणवत्ता को प्राथमिकता देती है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा भेजा गया सरकारी पत्र इस बात का प्रमाण है कि हमारी आवाज़ अब उच्च स्तर तक पहुँच चुकी है। हमारा अस्पताल इस बदलाव का नेतृत्व करेगा।”
संस्थान के उप निदेशक डॉ. आशीष हार्डिया ने अपने वक्तव्य में कहा, “हमारी रिसर्च टीम ने लगातार कई वर्षों तक सरकार को PET-CT आधारित डेटा भेजा है। यह डेटा किसी भी वैज्ञानिक मूल्यांकन के लिए पर्याप्त है। अगर सरकार अनुमति दे तो हम किसी भी केंद्रीय अस्पताल में अपनी टीम के साथ निरीक्षक डॉक्टरों के सामने लाइव ट्रीटमेंट डेमोंस्ट्रेशन देने को तैयार हैं।”
डॉ. एन.एल. सिन्हा : आंदोलन की आत्मा
कार्यक्रम में बार-बार यह भावना उभरकर सामने आई कि डॉ. एन.एल. सिन्हा का जीवन समर्पण और संघर्ष आज पूरे भारत में चिकित्सा-पुनर्जागरण की प्रेरणा बन चुका है। 1910 में स्थापित उनका संस्थान आज भी वैकल्पिक चिकित्सा की वैज्ञानिक धारा का प्रमुख स्रोत माना जाता है।
इलेक्ट्रो होम्योपैथी उत्सव 2025 केवल एक आयोजन नहीं यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य क्रांति की शुरुआत है। सरकार की ओर से पहली सकारात्मक प्रतिक्रिया, 15,000+ मरीजों का क्लिनिकल डेटा, मॉर्फिन-मुक्त स्वास्थ्य क्रांति, राष्ट्रीय हस्ताक्षर अभियान—इन सभी ने आज के दिन को भारतीय चिकित्सा इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ बना दिया। कार्यक्रम के अंत में यह स्वीकार किया गया कि यह आंदोलन डॉ. एन.एल. सिन्हा की विरासत है।
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