CG News : पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. देवभोग ब्लॉक के करीब 300 शिक्षकों का लगभग  4 करोड़ रुपए का भुगतान पिछले कई वर्षों से प्रशासनिक उलझनों में अटका हुआ है. सवा 3 करोड़ रुपए अंशदायी पेंशन योजना के तहत और लगभग 80 लाख रुपए क्रमोन्नत वेतनमान के मद से मिलने थे. यह भुगतान संविलियन से पहले ही होना था, लेकिन जनपद, बीईओ कार्यालय और जिला पंचायत के स्तर पर फाइलें ऐसी उलझीं कि आज तक कोई समाधान नहीं निकला. परिणामस्वरूप, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का भार संभाल रहे ये शिक्षक अपने ही बकाया राशि के लिए लगातार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं. (निकायों के पेंच में अटके 300 शिक्षकों के 4 करोड़ रुपए)

लंबित भुगतान के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष से गुहार

छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक/समग्र शिक्षक देवभोग इकाई के अध्यक्ष अवनीश पात्र के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने मंगलवार को जिला पंचायत अध्यक्ष गौरीशंकर कश्यप को ज्ञापन सौंपा. प्रतिनिधि मंडल में सुनील अग्रवाल, अनिल सिन्हा, रेखराम निधि और बीरेंद्र सोनवानी शामिल थे. शिक्षकों ने जल्द से जल्द बकाया भुगतान कराने की मांग की.

कमेटी गठित करने का मिला आश्वासन 

जिला पंचायत अध्यक्ष ने शिक्षकों की व्यथा सुनने के बाद जिला पंचायत सीईओ से चर्चा कर समाधान के लिए एक कमेटी गठित करने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि वर्षों से लंबित शिक्षकों के इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर प्राथमिकता के आधार पर आगे बढ़ाया जाएगा.

तीन साल में चार सीईओ बदले, फिर भी नहीं सुलझा मामला

अंशदायी पेंशन योजना मार्च 2013 से लागू हुई थी. योजना के अनुसार शिक्षाकर्मियों के वेतन से 10% और शासन की ओर से 10% नियोक्ता अंश उनके PRAN खाते में जमा होने थे. मार्च 2012 से जून 2022 तक शिक्षकों के वेतन से कर्मचारी अंश काट लिया गया, लेकिन संविलियन के बाद भुगतान की बारी आने पर जिला पंचायत ने नियोक्ता अंश के अभाव का हवाला देते हुए भुगतान रोक दिया.

शिक्षकों के आंदोलन के बाद वर्ष 2023 में शासन ने स्पष्ट किया कि वेतन के आबंटन में ही नियोक्ता अंश का प्रावधान शामिल था. इसके बावजूद जिला पंचायत बार-बार जनपद और बीईओ कार्यालय से कर्मचारी-वार विवरण और जमा राशि का ब्योरा मांगता रहा. इस दौरान जनपद देवभोग में चार सीईओ और तीन बीईओ बदल गए, लेकिन समस्या जस की तस बनी रही.

60 शिक्षकों से हुई 80 लाख की रिकवरी भी वापस नहीं

प्रभावित लगभग 300 शिक्षकों में से 60 ऐसे हैं, जिनकी आर्थिक क्षति दोहरी है. वर्ष 1998 से सेवा दे रहे इन शिक्षकों को 2014 में क्रमोन्नत वेतनमान दिया गया, जिसे गलत बताते हुए 2015 में प्रति शिक्षक 1.37 लाख रुपए के हिसाब से करीब 80 लाख की रिकवरी कर ली गई. बाद में महासमुंद जिला के इसी तरह के एक मामले में 15 मई 2017 को कोर्ट ने रिकवरी को गलत ठहराया और राशि लौटाने का आदेश दिया. अधिकांश जिलों में राशि वापस भी कर दी गई, पर देवभोग में यह रकम तत्कालीन अधिकारियों की मनमानी के कारण अटक गई.

ट्रेज़री में जमा करने के बजाय बीईओ खाते में रख दी गई रकम

रिकवरी राशि को ट्रेजरी में जमा करने के बजाय तत्कालीन बीईओ ने इसे अपने कार्यालय खाते में जमा रखा. वापसी के आदेश तक इस राशि को कई अन्य मदों में खर्च कर दिया गया. जनपद स्तर पर जमा राशि को भी कोरोना काल में सैनिटाइज़र, विक्षिप्तों के भोजन और पशु आहार जैसी मदों में खर्च दिखाया गया. 80 लाख में से केवल 3 लाख रुपए ही शासन के खाते में वापस जमा हो पाए.

प्रभावित शिक्षकों का कहना है कि वे अब रिकवरी की पूर्ण वापसी नहीं चाहते, बल्कि उचित वेतनमान को मान्य कर उनका वेतन पुनः दर्ज किया जाने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि गलत रिकवरी और वेतन विसंगति के कारण उनका 8वां वेतनमान भी प्रभावित होगा, जिससे भविष्य की सेवा और पेंशन लाभ को नुकसान पहुंचेगा.

निर्देश के मुताबिक होगी कार्रवाई

देवभोग बीईओ देवनाथ बघेल ने बताया कि अंशदायी पेंशन योजना के अंतर्गत 300 से अधिक शिक्षकों का करोड़ों का भुगतान लंबित है. जिला पंचायत द्वारा मांगे जाने पर समय-समय पर सभी जानकारी प्रेषित की गई है. क्रमोन्नत वेतनमान रिकवरी से संबंधित शेष 3 लाख रुपए शासन के मद में जमा कर दिए गए हैं. आगे जैसे भी निर्देश मिलेंगे, उसी के अनुसार कार्रवाई की जाएगी.

आश्वासन से शिक्षकों की जगी उम्मीद

लंबे समय से आर्थिक क्षति झेल रहे शिक्षकों को अब जिला पंचायत अध्यक्ष द्वारा दिए गए आश्वासन से उम्मीद जगी है. शिक्षक संगठन का कहना है कि वर्षों से लंबित इस समस्या का समाधान न होने से उनका आर्थिक, सामाजिक और मानसिक रूप से भारी नुकसान हुआ है. अब वे उम्मीद कर रहे हैं कि शासन-प्रशासन संवेदनशीलता दिखाते हुए जल्द से जल्द लंबित भुगतान जारी करेगा.