देहरादून. कोर्ट परिसर में रैन बसेरे के मामले को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत सरकार को लगातार घेर रहे हैं. बीते दिनों ही उन्होंने कहा था कि रैन बसेरा तो कहीं और भी बनाया जा सकता है. मगर अधिवक्ताओं के चैंबर तो उसी परिसर के आस-पास होने चाहिए. अब रावत ने उपनल कर्मियों को उठाने और शासनादेश थमाने को लेकर तंज कसा है.

उन्होंने कहा कि ‘दो समूह, एक हमारे देहरादून के सम्मानित अधिवक्ता साथी और दूसरे हमारे उपनल कर्मी. उपनल कर्मियों को जब उठाया गया ‘समान कार्य-समान वेतन’ का शासनादेश थमा कर तो उसमें एक लाइन डाल दी कि 12 साल की सेवाओं वालों को देय होगा. इस लाइन को पढ़ने के बाद मुझे लगा कि हरीश रावत अब तो नारा होना चाहिए “समान काम-समान वेतन के आदेश में दम नहीं—2027 में नियमितीकरण से कुछ कम नहीं”.

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रावत ने आगे कहा कि ‘अधिवक्ता साथियों को कांग्रेस पार्टी से आग्रह करना चाहिए कि ‘वह चैंबर्स को लेकर उनका भविष्य की गारंटी दे दे, क्योंकि भाजपा की बुद्धि में तो पहले ही अहंकार बैठा हुआ है. इसलिये कितना ही बुद्धि-शुद्धि यज्ञ कर लें कुछ फर्क पड़ता मुझे नजर आता नहीं है. अन्यथा अधिवक्ता साथियों से कौन लड़ेगा? वह अनावश्यक लड़ रहे हैं. कोर्ट परिसर में अधिवक्ताओं के चेंबर नहीं बनेंगे तो फिर किसके चैंबर बनेंगे? वहां रैन बसेरे का आईडिया कहां से आ गया?’