रायपुर- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अंदर छत्तीसगढ़ के ग्रामीण जनजीवन की गहरी छाप दिखाई देती है.मुख्यमंत्री बनने के पहले भूपेश बघेल के बारे में आम लोगों का यही मानना था कि वे एक अच्छे राजनेता हैं,जो सड़क से लेकर सदन तक अपनी आक्रामक शैली से लोगों के बीच अपनी एक पहचान बनाते हैं,लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद लोगों को उनके बारे में दिनों दिन नई नई बातें जानने को मिल रही है.अपने व्यस्त समय में वो ग्रामीण जनजीवन की एक एक झलक दिखाने को बेताब नजर आते हैं.

कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर पवित्र स्नान के समय भूपेश बघेल ने तैराकी के जिस कौशल का प्रदर्शन किया,वो वहां मौजूद लोगों को दांतों तले उंगली दबाने पर विवश कर दिया. गांवों में तालाब के किनारे खड़े होने पर ये दृश्य आम है,लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जिनकी उमर 58 साल है,उनके द्वारा नदी में जिस तरह उल्टा छलांग लगाया गया,सबको आश्चर्यचकित करने पर मजबूर कर गया.

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इससे पहले भी भूपेश ने ग्रामीण जनजीवन की कई कलाओं का प्रदर्शन कर लोगों को आश्चर्यचकित किया था. चाहे वो हाथ में भौंरा नचाने की कला हो या फिर गेंडी में सवार होकर उसमें मचलने की कला .चाहे मांदर बजाकर नाचने की कला हो या फिर दोहा गाकर राउत नाचा करने की कला .चाहे गोंटा खेलने की कला हो या फिर हाथ में सफलतापूर्वक सोंटा मरवाने की कला हो…इन सभी में भूपेश दाऊ माहिर दिखाई पड़े और इन सभी दृश्यों ने मीडिया में भी खूब सुर्खियां बटोरी.

छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विशेषताओं को सामने लाने के मुख्यमंत्री के प्रयास का सीधा मकसद यही है कि उनके इन प्रयासों से छत्तीसगढ़ वासियों की अस्मिता जागे और यहां के नौजवानों में अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम का भाव जागृत हो. छत्तीसगढ़ी तीज-त्यौहारों को जिस तरह अपने मूल स्वरुप में मनाने की पहल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की, उससे आम छत्तीसगढ़िया में आत्मसम्मान का नया भाव भी दिखने लगा है और आने वाले दिनों में इन प्रयासों के और भी बेहतर परिणाम आने की उम्मीद है.

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