टुकेश्वर लोधी, आरंग। छत्तीसगढ़ के आरंग क्षेत्र के ग्राम रीवा में पुरातत्व विभाग पिछले 4-5 वर्षों से उत्खनन कार्य कराकर लगातार महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहरों को उजागर कर रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस स्थल से 10वीं ईसा पूर्व के प्राचीन अवशेष मिल रहे हैं, जिनमें कई अमूल्य धरोहरें ऐसी हैं, जिनका संबंध हड़प्पा संस्कृति के समय से जोड़ा जा रहा है। इसे सिरपुर के अवशेषों से भी प्राचीन माने जा रहे हैं। इन सभी अवशेषों को संरक्षित किया जा रहा है, लेकिन अब तक प्राचीन मुद्राओं की जानकारी को सार्वजनिक नहीं करने से ग्रामीणों में आक्रोश है।
प्राचीन सिक्कों की बरामदगी पर रहस्य
स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कुछ दिनों पहले रीवा में चल रही खुदाई के दौरान प्राचीन सिक्कों का एक बड़ा जखीरा मिला है। बताया जा रहा है कि इन सिक्कों की संख्या लगभग 2000 से 2500 के बीच हो सकती है। हालांकि इन सिक्कों की बरामदगी की सूचना के बावजूद पुरातत्व विभाग ने इसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है। ग्रामीणों ने सवाल उठाते हुए कहा है कि आखिर पुरातत्व विभाग क्यों सच्चाई छुपा रही?


विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न
पुरातत्व विभाग की इस चुप्पी से उसकी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। संबंधित विभाग द्वारा यह जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा रही है कि ये सिक्के कितने पुराने हैं और ये किस धातु (जैसे- तांबा, चांदी, सोना आदि) से निर्मित हैं। खुदाई के दौरान मिलने वाले इन अमूल्य ऐतिहासिक अवशेषों और धरोहरों को सार्वजनिक नहीं करने से ग्रामीणों और इतिहास प्रेमियों में रोष और हैरानी है। ग्रामीण और इतिहास प्रेमी सवाल उठा रहे कि आखिर पुरातत्व विभाग को किसका दबाव है, जिसके कारण से खुदाई में मिले सिक्को को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है।
ग्रामीणों ने की रीवा में संग्रहालय बनाने की मांग
ग्राम रीवा के ग्रामीण भी इस बात से हैरान हैं कि पुरातत्व विभाग द्वारा खोजे जा रहे ऐतिहासिक महत्व की जानकारी को सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यह मौन इतिहास के उन पन्नों को दबाने जैसा प्रतीत हो रहा है, जो छत्तीसगढ़ के गौरवशाली अतीत और हड़प्पाकालीन सभ्यता से इसके संभावित जुड़ाव को सिद्ध कर सकते हैं। ग्रामीणों ने रीवा में संग्रहालय बनाने की मांग की है, जिससे रीवा में मिलने वाले प्राचीन अवशेषों को यही संरक्षित कर सके।
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