नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को लोगों से अगले 10 सालों में देश को गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह आजाद करने का आग्रह किया. इसके साथ धीमी आर्थिक विकास दर को ‘हिंदू विकास दर’ कहकर पूरी सभ्यता को बदनाम करने की कोशिश करने वाले “तथाकथित बुद्धिजीवियों” पर निशाना साधा.
हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया अनिश्चितताओं से भरी है, भारत आत्मविश्वास से भरा है और वैश्विक मंदी के दौर में भी विकास की कहानी लिख रहा है. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि कोई भी देश आत्मविश्वास के बिना आगे नहीं बढ़ सकता और आज हर क्षेत्र औपनिवेशिक मानसिकता को छोड़कर गर्व के साथ नई उपलब्धियों का लक्ष्य बना रहा है.
मोदी ने कहा, “यह औपनिवेशिक मानसिकता विकसित भारत के लक्ष्यों को हासिल करने में एक बड़ी बाधा बन गई है. इसीलिए आज का भारत खुद को इस मानसिकता से आजाद करने के लिए काम कर रहा है.” उन्होंने कहा कि इस औपनिवेशिक मानसिकता का असर ऐसा था कि आज भी, जब दुनिया भर में कई लोग भारत को वैश्विक विकास इंजन बताते हैं, तो बहुत कम लोग इस उपलब्धि के बारे में गर्व से बात करते हैं.
उन्होंने पूछा, “क्या किसी ने कभी इसे हिंदू विकास दर कहा है,” और दर्शकों को याद दिलाया कि इस शब्द का इस्तेमाल उस समय किया गया था जब भारत दो से तीन प्रतिशत की विकास दर तक पहुंचने के लिए भी संघर्ष कर रहा था. मोदी ने कहा कि देश का आर्थिक प्रदर्शन उसके लोगों के विश्वास से जुड़ा है और एक पूरे समाज को गरीबी का पर्याय बना दिया गया था.
प्रधानमंत्री ने कहा, “यह संदेश दिया जा रहा था कि भारत की धीमी वृद्धि किसी न किसी तरह हिंदू सभ्यता का ही परिणाम है. और जो लोग अब हर मुद्दे का सांप्रदायिकरण करते हैं, उन्हें तब इस शब्द पर कोई आपत्ति नहीं थी. यह शब्द किताबों और रिसर्च पेपर का हिस्सा बन गया.”
उन्होंने कहा, “मैकाले की नीति, जिसने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए, 2035 में 200 साल पूरे कर लेगी. इसका मतलब है कि 10 साल बचे हैं. इसलिए, इन 10 सालों में, हम सभी को मिलकर अपने देश को गुलामी की मानसिकता से आजाद करना होगा.” यह कहते हुए कि भारत उच्च विकास और कम मुद्रास्फीति का मॉडल है, उन्होंने कहा कि इस वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दिखाती है कि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था का विकास चालक बन रहा है.
मोदी ने कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया अनिश्चितताओं से भरी है, भारत को एक अलग लीग में देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि भारत में जो बदलाव हो रहे हैं, वे सिर्फ़ संभावनाओं के बारे में नहीं हैं, बल्कि यह बदलती सोच और दिशा की कहानी है.
मोदी ने कहा, “हम एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं, जहां 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है. दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं: वित्तीय संकट, वैश्विक महामारी, तकनीकी रुकावटें, दुनिया का बिखरना, हम युद्ध देख रहे हैं, ये हालात किसी न किसी तरह से दुनिया को चुनौती दे रहे हैं.” उन्होंने कहा कि दुनिया अनिश्चितताओं से भरी है, लेकिन भारत को बिल्कुल अलग लीग में देखा जा रहा है.
मोदी ने कहा, “भारत आत्मविश्वास से भरा है. जब मंदी की बात होती है, तो भारत विकास की कहानी लिखता है. जब दुनिया में भरोसे की कमी होती है, तो भारत भरोसे का स्तंभ बन रहा है, जब दुनिया बंटवारे की ओर बढ़ रही है, तो भारत पुल बनाने वाला बन रहा है.” Q2 GDP के आंकड़े 8 प्रतिशत से ज़्यादा होने की बात कहते हुए उन्होंने कहा कि यह हमारी गति का प्रतीक है.
मोदी ने कहा, “यह सिर्फ़ एक संख्या नहीं है, बल्कि यह एक मज़बूत मैक्रोइकोनॉमिक संकेत है. यह एक संदेश है कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है.” उन्होंने बताया कि वैश्विक विकास लगभग 3 प्रतिशत है, जबकि G7 अर्थव्यवस्थाएं औसतन लगभग 1.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही हैं.
मोदी ने कहा, “ऐसे समय में, भारत उच्च विकास और कम महंगाई का मॉडल है.” उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि एक समय था जब लोग, खासकर हमारे देश के अर्थशास्त्री, उच्च महंगाई पर चिंता जताते थे, लेकिन अब वही लोग महंगाई कम होने की बात करते हैं. मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि भारत की उपलब्धियां सामान्य नहीं हैं, यह संख्याओं के बारे में नहीं है, बल्कि पिछले दशक में लाए गए मौलिक बदलाव के बारे में है.
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