रायपुर. प्रदेश के तीन हजार वैद्यराजों का रायपुर में 23 नवंबर को सम्मेलन आयोजित की गई है. इसका आयोजन मुख्यमंत्री के निर्देश पर वन विभाग के द्वारा किया जा रहा है.

राज्य सरकार की मंशा है कि सदियों से चली आ रही इस परंपरागत चिकित्सा पद्धति का संरक्षण, संवर्द्धन और विकास करते हुए उसका लाभ जनता को उपलब्ध कराने की संगठित व्यवस्था की जाए.

 सम्मेलन में इन विषयों पर होगी चर्चा

  1. नीतिगत कार्यों के संपादन मे पारंपरिक वैद्यों की सलाहकार समिति के गठन के लिए प्रयास.
  2.  पारंपरिक वैद्यों की ज्ञान का संरक्षण एवं उनके ज्ञान का नई पीढ़ियों मे स्थानांतरण के लिए पारंपरिक वैद्यों को सम्मानित करने हेतु पहल.
  3.  स्थानीय वनस्पति जैव विविधता के संरक्षण, संवर्धन के लिए खाली पड़ती भूमि में प्रायः विलुप्त हो रही वनौषधियों का रोपण के लिए पारंपरिक वैद्यों के माध्यम से सहयोग करने पहली वेबसाइट तथा कॉल सेंटर की स्थापना हो, ताकि अनुभवी, ज्ञानी तथा ख्याति प्राप्त वैद्यों की स्वास्थ्य सेवाएं आम जन मानस तक पहुंच सके.
  4. आम जन मानस में लोक स्वास्थ्य परंपरा को हर्बल फूड्स सप्लीमेंटी जना सरक्षा हेतु सरल सहज माध्यम से पहुंच तथा यह कुपाषण हेतु सहायक सिध्द होगा. तथा संग्रहण प्राथमिक प्रसंस्करण एवं प्रशोधन के कार्यों में स्थानीय लोगो को को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे.
  5. पारंपरिक वैद्यों की उपचार पध्दति में उपयोगी पांरपरिक उपकरण एंव जड़ी बूटियों के रख-रखाव हेतु संसाधन प्रदान करने पर पहल.
  6. छग का स्वास्थ्य परंपरा पध्दति में बन उपयोगी प्राथमिक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए आवश्यक औषधीय पौधों की रोपणी की स्थापना और आम जन मानस को निःशुल्क वितरण कर जागरूकता हेतु अंगना जरी बूटी बगिया योजना को प्रारंभ करने के लिए पहल की मांग.