जशपुर। कहते हैं उगते सूरज को हर कोई सलाम करता है, लेकिन डूबते सूरज को कोई नहीं पूछता. जीवन की संध्या में इसी परेशानी से गुजर रहे हैं जशपुर के पूर्व जनपद पंचायत CEO विनोद कुमार चौबे. वे इन दिनों पेंशन के लिए ऑफिसों के चक्कर काटने को मजबूर हैं. ये करीब एक साल पहले रिटायर हुए हैं, लेकिन कई बार परियोजना कार्यालय के चक्कर काटने के बावजूद अब तक इन्हें कोई पेंशन नहीं दिया गया है.

एक वक्त था जब विनोद चौबे जनपद पंचायत के सीईओ थे, तो उनका अलग रौब था. अपने छोटे-छोटे कामों के लिए लोग इनके चक्कर काटते थे, जबकि आज वे खुद परियोजना ऑफिस के चक्कर काट रहे हैं, जिसके कारण ये काफी परेशान हैं. वे अप्रैल 2016 तक जनपद पंचायत कुनकुरी के CEO थे. इन्होंने बताया कि सरकारी नियमों के मुताबिक, रिटायरमेंट के तुरंत बाद या फिर एक महीने के अंदर अनुमानित पेंशन की 90 फीसदी राशि दे दी जाती है, लेकिन सारे नियमों को ताक पर रखकर उन्हें खोखले आश्वासन देकर बार-बार घुमाया जा रहा है.

पूर्व अधिकारी विनोद चौबे ने बताया कि उन्हें पेंशन के लिए बार-बार अंबिकापुर से जशपुर आना पड़ रहा है, लेकिन हर बार कहा जाता है कि हफ्तेभर में सब क्लीयर हो जाएगा, मगर ऐसा होता नहीं है. ऐसा करते-करते करीब 52 हफ्ते हो गए हैं, लेकिन पेंशन नहीं मिला. जबकि पेंशन से संबंधित सभी डॉक्यूमेंट्स कुनकुरी जनपद में जमा हैं.

परियोजना प्रमुख को नहीं है जानकारी

इधर इस मामले में परियोजना कार्यालय के प्रमुख आदिवासी आयुक्त सियाराम चौहान से जब बात की गई, तो उन्होंने हैरान करने वाला जवाब दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें मामले में कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि संबंधित लोगों से पूछताछ कर इस बारे में वे कोई जवाब दे सकते हैं.

अब आप खुद ही सोच सकते हैं कि जब पूर्व जनपद सीईओ का ये हाल है, तो फिर आम जनता अपने हक को पाने के लिए कितना भटकती होगी और उन्हें किन परेशानियों का सामना करना पड़ता होगा.