रायपुर। छत्तीसगढ़ का उत्तर-पूर्वी जिला जशपुर अपने प्राकृतिक सौंदर्य, जलप्रपातों, घने जंगलों, पर्वत श्रृंखलाओं और बहुरंगी आदिवासी संस्कृति के लिए सदियों से प्रसिद्ध रहा है। लेकिन छत्तीसगढ़ की साय सरकार के दिशा निर्देश पर पिछले कुछ वर्षों में जिस गति से यह जिला पर्यटन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना रहा है वह पूरे प्रदेश के लिए गर्व का विषय है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में जशपुर पर्यटन को नई दिशा, नई सोच और नई ऊर्जा मिली है जिसने इस क्षेत्र को एक नए पर्यटन स्वर्ग के रूप में स्थापित किया गया है।


आज जशपुर न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत में एडवेंचर, इको-टूरिज्म, ग्रामीण पर्यटन, होम-स्टे मॉडल, प्रकृति पर्यटन और आध्यात्मिक पर्यटन का एक अनूठा केंद्र बन रहा है। सरकार की दूरदर्शी नीतियों, प्रशासनिक तत्परता और स्थानीय समुदाय के सहयोग ने मिलकर जशपुर को नई ऊंचाइयों की ओर अग्रसर किया है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की दूरदृष्टि से हो रहा पर्यटन को उद्योग बनाकर नई अर्थव्यवस्था का निर्माण
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जशपुर में पर्यटन विकास के नए युग की शुरुआत की है। उनका मानना है कि “पर्यटन केवल घूमने-फिरने का साधन नहीं, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार, उद्यमिता और आत्मनिर्भरता का माध्यम है।” इसी सोच के साथ छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने जशपुर में पांच गांवों—देओबोरा, केरे, दनगरी, छिछली और घोघरा—में होम-स्टे योजना की औपचारिक शुरुआत की।यह राज्य का पहला सामुदायिक होमस्टे मॉडल है, जिसने पूरे प्रदेश में एक नई मिसाल कायम की है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मित्रों को प्रशिक्षण देकर युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार प्रदान किया जा रहा है। धार्मिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक और रोमांचक स्थलों को एक ही सर्किट से जोड़ने का प्रयास शुरू किया गया। जशपुर को “आत्मनिर्भर पर्यटन मॉडल” के रूप में विकसित करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री के प्रयासों से आज जशपुर न केवल छत्तीसगढ़ के पर्यटन नक्शे पर उभर रहा है, बल्कि अब राष्ट्रीय पर्यटन मंचों पर भी इसकी चर्चा होने लगी है।

एडवेंचर पर्यटन—रोमांच का नया घर
जशपुर का भूगोल एडवेंचर गतिविधियों के लिए वरदान है। ऊंची-ऊंची पर्वत श्रृंखलाएं, देशरेखा का अनोखा भू-आकृति क्षेत्र, मयाली की वन वादियां, मनोरम घाटियां—ये सभी मिलकर जशपुर को रोमांच के प्रेमियों का नया गंतव्य बनाते हैं। जशपुर में उपलब्ध प्रमुख एडवेंचर गतिविधियां इस प्रकार से हैं ,रॉक क्लाइम्बिंग, कयाकिंग और रिवर गतिविधियां, साइक्लिंग और माउंटेन बाइकिंग, एटीबी राइड,पेंटबॉल,बोल्डरिंग, जुमारिंग और जिपलाइनिंग आदि।

जशपुर ज़िले के सारे प्रमुख एडवेंचर स्थलों को बनाया जा रहा रोमांचक
जशपुर ज़िले के प्रमुख एडवेंचर स्थलों में शामिल है रॉक क्लाइम्बिंग और ट्रेकिंग के लिए प्रसिद्ध-देशरेखा पर्वत क्षेत्र, ट्रेकिंग, बाइकिंग और प्रकृति दर्शन के लिए आदर्श स्थान -मयाली घाटियां, बाइकिंग और पर्वतीय रोमांच का केंद्र – पंड्रापुट। राज्य के मुख्यमंत्री के दिशा निर्देश पर इन स्थलों को सैलानियों की दिलचस्पी के मुताबिक़ और भी संवारा जा रहा है। छत्तीसगढ़ में पहली बार किसी जिले ने इतनी विविधताओं से भरा व्यापक एडवेंचर पैकेज प्रदान किया है।

‘जशपुर जम्बूरी’—जिला प्रशासन की ऐतिहासिक पहल
6 से 9 नवंबर तक आयोजित चार दिवसीय जशपुर जम्बूरी ने इस जिले को पर्यटन के राष्ट्रीय मंच पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जशपुर जम्बूरी में देशभर से 120 से अधिक पर्यटक आए थे।इस दौरान टेंट हाउस, मड हाउस और होम-स्टे की उत्कृष्ट व्यवस्था रखी गई, देशरेखा और मयाली में एडवेंचर गतिविधियों का आयोजन किया गया, खुले आसमान के नीचे तारों को निहारने का अनोखा अनुभव पाने के लिए स्टार गेज़िंग सत्र का इंतज़ाम था, बोनफायर, लोकनृत्य, मांदर की थाप रातभर सांस्कृतिक उत्सव ,दोना-पत्तल में पारंपरिक भोजन इन सबने उनको ग्रामीण जीवन से सीधे जोड़ने में सफलता पाई। इस आयोजन ने जशपुर को “प्रकृति, संस्कृति और एडवेंचर का संगम” के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर दिया।

होम-स्टे मॉडल—ग्रामीण पर्यटन की नई इबारत
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा शुरू किए गए होम-स्टे मॉडल ने जशपुर में पर्यटन विकास का नया अध्याय लिखा है।इस मॉडल के प्रमुख लाभ हैं स्थानीय परिवारों को स्थायी आय मिले, ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा हो, पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति, भोजन और जीवनशैली का वास्तविक अनुभव मिले, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई मजबूती, होटलों की तुलना में अधिक आत्मीय और किफायती विकल्प देने का प्रयास किया जा रहा है। केरे गांव के 8 होम-स्टे इस मॉडल की सफलता का शानदार उदाहरण बन गए हैं।

सांस्कृतिक और ग्रामीण पर्यटन—आदिवासी विरासत का जीवंत संसार
जशपुर की आत्मा उसकी समृद्ध आदिवासी संस्कृति में बसती है। यहां की परंपराएं, नृत्य, वाद्य, जीवनशैली और लोककथाएं सदियों पुरानी विरासत का प्रतिबिंब हैं। पर्यटकों का ग्रामीण परिवारों के साथ रहना पर्यटन का शानदार आकर्षण बन गया है। परंपरागत छत्तीसगढ़ी भोजन—चावल, चीला, फरा, भाजी, मड़िया रोटी से पर्यटक छत्तीसगढ़ से जुड़ रहे हैं। स्थानीय लोकनृत्य—राऊत नाचा, पंथी और सरहुल नृत्य सैलानियो का प्रदेश से परिचय करा रहा है। वन-उत्पादों का उपयोग पर्यटकों का जशपुरिहा जीवनशैली से परिचय करा रहा है।
छत्तीसगढ़ की साय सरकार का फोकस
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की प्राथमिकता है कि “स्थानीय संस्कृति को पर्यटन के माध्यम से वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई जाए।”इसके लिए—सांस्कृतिक गांवों का विकास, ग्रामीण भ्रमण पथों का निर्माण, परंपरागत हस्तशिल्प और वन उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराना जैसे कार्यों को गति दी जा रही है।
जशपुर में आध्यात्मिक पर्यटन—खुड़िया रानी का विकास
जशपुर की धार्मिक पहचान का केंद्र है खुड़िया रानी मंदिर जहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। सरकार इस स्थल को आधुनिक सुविधाओं, आकर्षक एवं सुरक्षित मार्ग, सुविधाजनक पार्किंग, विश्राम एवं जलपान केंद्र, लाइटिंग और भव्य परिसर के माध्यम से एक प्रमुख आध्यात्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित कर रही है। इस पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का कहना है कि “जशपुर के धार्मिक स्थलों में अपार संभावनाएं हैं। हम इन्हें विश्वस्तरीय पहचान दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
जशपुर का इको-टूरिज्म— साय सरकार ने बसाया जंगलों और जैव-विविधता का नया संसार
जशपुर प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है। घने जंगल, पहाड़, वन्यजीव, पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियां—ये सब मिलकर जशपुर को इको-टूरिज्म का आदर्श गंतव्य बनाते हैं। नीमगांव तालाब में वन विभाग द्वारा आयोजित बर्ड वॉचिंग टूर में हिमालय की तराई से आने वाले प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की 30 से अधिक प्रजातियाँ देखी जा सकती है जो पर्यटकों को आकर्षित भी करते हैं और प्रकृति की गोद में शांति का अनुभव भी कराते हैं। जशपुर देश के उन चुनिंदा स्थलों में से है जहाँ 70 से अधिक सर्प प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह हर्पेटोलॉजी में रुचि रखने वालों के लिए एक अनोखा अनुभव प्रदान करता है।
जलप्रपात और प्राकृतिक सौंदर्य बन रहा जशपुर का अनमोल खजाना
जशपुर के झरने जो जशपुर की पहचान हैं पर्यटन के मान से इनको और भी निखारा और संवारा जा रहा है। छत्तीसगढ़ के सबसे ऊंचे जलप्रपातों में से एक है जशपुर का मकरभंजा जलप्रपात जो अपनी ऊंचाई, गूंज और प्राकृतिक वादियों के कारण पर्यटकों को सम्मोहित कर देता है। इसके अलावा राजपुरी जलप्रपात, बुरडीह झरना, तपकरा घाटी, कुदरगढ़ को भी प्रदेश की साय सरकार ने शानदार बना दिया है। राज्य सरकार का यह प्रयास जशपुर को प्रकृति पर्यटन का स्वर्ग बना रहा है।
सामुदायिक भागीदारी—जशपुर मॉडल की सबसे बड़ी ताकत
राज्य के मुख्यमंत्री के दिशा निर्देश के बाद जशपुर पर्यटन की सफलता का सबसे बड़ा कारण है स्थानीय समुदाय की सक्रिय भूमिका।ग्रामीणों ने अपने घर होम-स्टे में बदले, युवाओं ने पर्यटन मित्र का प्रशिक्षण लिया, महिलाओं ने भोजन, हस्तशिल्प और आतिथ्य में भागीदारी की, स्थानीय गाइडों ने प्रकृति भ्रमण को और भी रोचक बनाया इन सब ने मिलकर जशपुर को “जनभागीदारी आधारित पर्यटन मॉडल” का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बनाया हैं।
जशपुर के लिए साय सरकार की भावी योजनाएं
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर जशपुर के लिए बनाई जा रही आगामी योजनाएं इस प्रकार से हैं- जशपुर पर्यटन सर्किट की स्थापना, देशरेखा एडवेंचर पार्क का विस्तार, खुड़िया रानी आध्यात्मिक कॉरिडोर, होम-स्टे मॉडल को 25 गांवों तक विस्तार, इको-टूरिज्म ट्रेल्स और नेचर वॉक रूट का निर्माण और स्थानीय उत्पादों को GI टैग दिलाने की कोशिश। इन सभी योजनाओं से जशपुर अगले कुछ वर्षों में भारत का प्रमुख पर्यटन केंद्र बन सकता है। जशपुर आज एक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व और प्रशासनिक सक्रियता ने इस जिले को पर्यटन के नए मानचित्र पर स्थापित कर दिया है। जशपुर का हर गांव, हर पर्वत, हर जलप्रपात, हर लोकगीत—पर्यटकों को एक अनूठा अनुभव देने के लिए तैयार है। यह केवल पर्यटन का विकास नहीं, बल्कि स्थानीय समाज, संस्कृति और अर्थव्यवस्था का पुनर्जागरण है। जशपुर आने वाला हर पर्यटक अपने साथ प्राकृतिक सुंदरता, ग्रामीण आत्मीयता और रोमांचक अनुभवों की अविस्मरणीय स्मृतियाँ लेकर लौटता है।
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