अनमोल मिश्रा, सतना। Satna HIV Blood Case: मध्य प्रदेश के सतना जिला अस्पताल में HIV ब्लड चढ़ाने की वजह से 6 बच्चे संक्रमित हो गए हैं। लापरवाही का मामला उजागर होने के बाद स्वास्थ्य विभाग आयुक्त तरुण राठी ने मामले की जांच के लिए 6 सदस्यीय समिति का गठन कर राज्य स्तरीय जांच दल भेजने के आदेश दिए। इसके बाद केंद्रीय टीम जिला अस्पताल पहुंची। महिला कांग्रेस ने उनसे पूछा- आखिर दोषी कौन है ? क्लिया मशीन की प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में बताया गया कि इसमें सभी निगेटिव आए हैं।  

टीम ने बंद कमरे में ब्लड बैंक प्रभारी देवेंद्र पटेल और नोडल अधिकारी पूजा गुप्ता से सवाल-जवाब तलब किया। हालांकि, इस जांच टीम से मीडिया को दूर रखा गया। इस दौरान पूर्व विधायक कल्पना वर्मा के नेतृत्व में महिला कांग्रेस की टीम ब्लड बैंक पहुंचकर जांच टीम में शामिल सदस्यों से सीधा सवाल किया कि इस पूरे मामले में आखिरकार दोषी कौन है। इस पूरे मसले में जब पूर्व विधायक ने जांच टीम से सवाल किया तो टीम में शामिल रीवा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर लोकेश त्रिपाठी और केंद्रीय टीम के सदस्य महेश सदस्यों ने कोई भी सार्थक जवाब नहीं दिया। हालांकि इस पूरे मामले में कांग्रेस का आरोप है कि टीम द्वारा निष्पक्ष जांच नहीं की जा रही है, जिससे कि उन चार मासूमों को न्याय मिल सके, जो ब्लड के अधिकारियों व कर्मचारियों की वजह से लापरवाही की भेंट चढ़ गए।

सतना मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज शुक्ला ने प्रेस नोट कारी किया जिसमें जानकारी देते हुए बताया गया कि प्रारंभिक जांच में जानकारी सामने आई है कि थैलेसीमिया नामक रक्त विकार से ग्रसित ये पांच बच्चे हैं। जिनकी उम्र 3 साल से लेकर 15 साल तक की है, जिन्हें हर माह दो से तीन बार तक ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता पड़ती है। ये बच्चे काफी समय से ब्लड ट्रांसफ्यूजन करवा रहे हैं। उन्होंने जिला अस्पताल सतना के अतिरिक्त निजी अस्पताल जैसे बिडला हॉस्पिटल सतना और सतना के बाहर जबलपुर आदि शहरों में भी ब्लड ट्रांसफ्यूजन कराया जाना पता चला है।

3 साल की बच्ची के परिजन थे HIV पॉजिटिव

मल्टीपल ब्लड ट्रांसफ्यूजन की मेडिकल हिस्ट्री होने से ये मरीज एचआईवी हेतु हाई रिस्क ग्रुप में आते हैं, जिसकी स्क्रीनिंग के दौरान इन बच्चों में एचआईवी संक्रमण का पता चला एवं उनका उपचार (ए.आर.टी) तत्काल प्रारंभ कर दिया गया, यह उपचार निरंतर चल रहा है। एच.आई.वी. का संक्रमण, ब्लड ट्रांसफ्यूजन के अतिरिक्त, संक्रमित इंजेक्शन नीडल से इंजेक्शन लगने या फिर माता-पिता से इंफेक्शन मिलना भी संभव है। इन बच्चों में से एक 3 वर्षीय बच्चे के माता-पिता, दोनों एच.आई.वी. पॉजीटिव हैं।

जिला चिकित्सालय सतना के ब्लड बैंक में रक्तदाताओं द्वारा डोनेट किए जाने वाले हर ब्लड बैग या यूनिट की शासन के प्रोटोकॉल के अनुरूप समस्त निर्देशित जांचें की जाती हैं एवं सभी जांचों की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद ही ब्लड ट्रांसफ्यूजन हेतु इशू किया जाता है।

कुछ प्रकरणों में संक्रमित डोनर का इंफेक्शन प्रारंभिक अवस्था (विंडो पीरियड) में होने से वह जांच में पकड़ में नहीं आ पाता और आगे चलकर कई महीनो के पश्चात, भविष्य में वह एच.आई.वी. पॉजिटिव डायग्नोस हो सकता है। इसी संभावना को दृष्टिगत रखते हुए, इन बच्चों को (जिन्हें अब तक 9 बार से लेकर 126 बार तक ब्लड ट्रांसफ्यूजन दिए गए हैं) जिनके भी ब्लड ट्रांसफ्यूज किए गए हैं, उन सभी डोनर्स को चिन्हित कर उन्हें फॉलो अप हेतु प्रयास कर एचआईवी जांच हेतु बुलाया जा रहा है, ताकि उनके वर्तमान एचआईवी स्टेटस का पता किया जा सके। उनमें से कुछ डोनर आकर अपनी जांच करवा भी चुके हैं एवं उन सभी की एचआईवी जांच नेगेटिव पाई गई है। अभी यह प्रक्रिया निरंतर जारी है।

क्या है पूरा मामला?

जिला अस्पताल के ब्लड बैंक ने ऐसा खून बच्चों को चढ़ाने को दे दिया जोकि एचआईवी संक्रमित था। इस वजह से बच्चों को एचआईवी संक्रमण हो गया है। ये चारों बच्चे पहले से ही थैलेसीमिया जैसी गंभीर और लाइलाज बीमारी से पीड़ित थे और जीवन बचाने के लिए नियमित रूप से खून चढ़ाने पर निर्भर थे।

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