India-China WTO Dispute: चीन ने एक बार फिर वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन यानी WTO में भारत के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. यह साल 2025 में भारत को लेकर चीन की दूसरी शिकायत है. इससे पहले अक्टूबर महीने में चीन ने भारत की इलेक्ट्रिक व्हीकल और बैटरी सब्सिडी को लेकर भी मामला दर्ज कराया था.
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि भारत टेलीकॉम इक्विपमेंट और दूसरे ICT प्रोडक्ट्स पर ज्यादा टैक्स लगा रहा है. इसके साथ ही सोलर सेक्टर को दी जा रही सरकारी सब्सिडी भी चीनी कंपनियों के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है.
चीन का आरोप है कि भारत की ये नीतियां घरेलू कंपनियों को सीधा फायदा पहुंचा रही हैं, जबकि विदेशी कंपनियों के लिए बाजार में बराबरी से मुकाबला करना मुश्किल हो गया है. मंत्रालय ने इसे अनुचित प्रतिस्पर्धा बताया है और कहा है कि यह WTO के नियमों के खिलाफ है.
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भारत पर नियम तोड़ने का आरोप
चीन का कहना है कि भारत की मौजूदा नीतियां WTO के ‘नेशनल ट्रीटमेंट’ जैसे अहम नियमों का उल्लंघन करती हैं. इन नियमों के तहत किसी भी देश को अपनी घरेलू कंपनियों को विदेशी कंपनियों से ज्यादा फायदा देने की इजाजत नहीं होती.
चीनी मंत्रालय ने भारत से अपील की है कि वह WTO के तहत किए गए अपने वादों का सम्मान करे और इन नीतियों में जल्द सुधार करे. चीन ने साफ संकेत दिए हैं कि वह अपने उद्योगों के हितों की रक्षा के लिए पीछे नहीं हटेगा.
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EV सब्सिडी पर पहले भी उठा चुका है सवाल
यह पहली बार नहीं है जब चीन ने भारत की सब्सिडी नीति पर आपत्ति जताई हो. इससे पहले भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को मिल रही भारी सब्सिडी को लेकर भी चीन ने नाराजगी जताई थी.
चीन का कहना है कि भारत अपनी EV कंपनियों को जरूरत से ज्यादा आर्थिक मदद दे रहा है. इससे भारतीय कंपनियों को बाजार में बढ़त मिल रही है और चीनी इलेक्ट्रिक गाड़ियों तथा EV प्रोडक्ट्स की बिक्री पर असर पड़ रहा है.
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EV सब्सिडी देने में भारत सबसे आगे
एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के बड़े देशों में इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर सबसे ज्यादा सब्सिडी भारत में दी जा रही है. भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली इलेक्ट्रिक कार टाटा नेक्सॉन EV पर खरीदार और कंपनी को मिलाकर करीब 46 फीसदी तक का फायदा मिलता है.
भारत में EV को बढ़ावा देने के लिए सरकार कम GST, पेट्रोल-डीजल गाड़ियों के मुकाबले कम रोड टैक्स और कंपनियों को PLI यानी प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव जैसी योजनाओं का लाभ दे रही है.
इसी वजह से देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. हालांकि चीन का मानना है कि इस तरह की नीतियां अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के खिलाफ हैं. अब सबकी नजर WTO के अगले कदम पर है और यह देखना होगा कि भारत इस शिकायत पर क्या जवाब देता है.
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