रायपुर। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीआई), रायपुर ने फर्जी जीएसटी फर्मों के जरिए करोड़ों रुपये के टैक्स फ्रॉड का पर्दाफाश करते हुए अमन कुमार अग्रवाल और विक्रम मंधानी को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपियों पर फर्जी फर्मों का संगठित रैकेट चलाकर बिना किसी वास्तविक वस्तु की आपूर्ति के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) पास करने का गंभीर आरोप है।
बता दें कि डीजीजीआई की टीम ने बीते 19 दिसंबर 2025 को रायपुर के मैग्नेटो मॉल में स्थित मेसर्स प्रेम एंटरप्राइजेज में तलाशी कार्रवाई की। इस दौरान अधिकारियों को बड़ी संख्या में फर्जी कंपनियों और लेन-देन से जुड़ी जानकारी और दस्तावेज मिले है।

20 सिम कार्ड और 50 से अधिक फर्जी जीएसटी लॉगिन बरामद
तलाशी के दौरान आरोपियों के परिसर से करीब 20 सिम कार्ड बरामद किए गए, जिनका उपयोग फर्जी जीएसटी पंजीकरण कराने में किया गया था। जांच में यह भी सामने आया कि इन फर्जी फर्मों से जुड़े ई-मेल आईडी विक्रम मंधानी द्वारा संचालित किए जा रहे थे।
डीजीजीआई अधिकारियों को विक्रम मंधानी के पास से 50 से अधिक फर्जी फर्मों के जीएसटी लॉगिन-आईडी और पासवर्ड मिले हैं। इन फर्मों के नाम पर बिना किसी वास्तविक व्यापारिक गतिविधि के केवल कागजी इनवॉइस जारी किए जा रहे थे।
48 करोड़ के फर्जी इनवॉइस, 9 करोड़ रुपये के जीएसटी की हेराफेरी
प्रारंभिक डेटा विश्लेषण में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि इन फर्जी फर्मों के जरिए लगभग 48 करोड़ रुपये मूल्य के इनवॉइस जारी किए गए, जिनमें करीब 9 करोड़ रुपये का जीएसटी शामिल है। अधिकारियों के अनुसार, यह आंकड़ा प्रारंभिक है और जांच आगे बढ़ने के साथ घोटाले की राशि और बढ़ने की पूरी संभावना है।
20 दिसंबर को गिरफ्तारी, 2 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में रहेंगे आरोपी
डीजीजीआई रायपुर ने दोनों आरोपियों को 20 दिसंबर 2025 को गिरफ्तार किया। इसके बाद उन्हें 21 दिसंबर 2025 को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से कोर्ट ने अमन कुमार अग्रवाल और विक्रम मंधानी को 2 जनवरी 2026 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
आदतन अपराधी है अमन कुमार अग्रवाल
जांच में यह भी सामने आया है कि अमन कुमार अग्रवाल एक आदतन अपराधी है। इससे पहले भी उसे छत्तीसगढ़ राज्य जीएसटी विभाग द्वारा 10 जून 2025 को इसी तरह के जीएसटी फर्जीवाड़े के मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है। इसके बावजूद उसने दोबारा फर्जी फर्मों का नेटवर्क खड़ा कर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाया।
डीजीजीआई अधिकारियों का कहना है कि यह एक संगठित और सुनियोजित जीएसटी फ्रॉड नेटवर्क है, जिसकी कड़ियां अन्य राज्यों तक भी फैल सकती हैं। मामले में डिजिटल साक्ष्यों, बैंक खातों और अन्य संलिप्त व्यक्तियों की भूमिका की गहन जांच की जा रही है।
अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि जीएसटी प्रणाली के दुरुपयोग पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी और सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
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