डॉ. वैभव बेमेतरिहा
रायपुर। वैसे तो छत्तीसगढ़ में चुनाव को अभी 3 वर्ष शेष है, लेकिन भाजपा ने मिशन 2028 को लेकर अपनी तैयारियां अभी शुरू कर दी है. इसका आगाज आज जनादेश परब के साथ हो गया है ऐसा कहना गलत नहीं होगा. क्योंकि शुरुआत वहाँ से हुई, जहां पार्टी 2023 के चुनाव में बुरी तरह हार गई थी. अर्थात कहा जा सकता है कि बीजेपी जहां से हारी थी, वहीं से आगामी चुनाव में जीतने का जयघोष हुआ.


दरअसल छत्तीसगढ़ में साय सरकार 2 साल पूरे होने का जश्न मना रही है. इसे जनादेश परब नाम दिया गया है. जनादेश परब का पहला भव्य कार्यक्रम जाँजगीर में हुआ है. यहां केंद्रीय मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. उनके साथ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सहित पूरा मंत्रिमंडल और भाजपा पदाधिकारियों से सहित हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे.
अब सवाल ये है कि साय सरकार या भाजपा ने जनादेश परब का पहला भव्य कार्यक्रम जांजगीर में ही क्यों किया ? राजधानी रायपुर, बस्तर या सरगुजा में क्यों नहीं ? जबकि इन संभागों में भाजपा को 2023 के चुनाव में भरपूर जनादेश मिला था. तो इसका जवाब बेहद साफ और खास है.
दरअसल भाजपा एक रणनीतिक मिशन या चुनावी मोड पर काम करती है. और जीत के साथ ही आगामी लक्ष्य तय कर लिया जाता है. जांजगीर में जो कार्यक्रम हुआ उसका भी लक्ष्य है. वह है मिशन 2028.
गौर करने वाली बात यह है कि 2023 के चुनाव में भाजपा ने 2003 से लेकर 2013 तक जीतने सीटें जीती थी, उससे कहीं अधिक रिकार्ड 54 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी. लेकिन इसी जीत में एक रिकार्ड जांजगीर लोकसभा में हार का भी बना. भाजपा जांजगीर लोकसभा की 8 में 8 विधानसभा की सीटें बुरी तरह से हार गई थी. प्रदेश भर में पूरे 11 लोकसभा में जांजगीर ही वह क्षेत्र था जहाँ भाजपा नहीं जीत पाई थी.
भाजपा को यह भरोसा नहीं हो रहा था कि ज राज्य गठन के बाद से जिस क्षेत्र से पार्टी लगातार जीतते रही है, वहां से पार्टी हार कैसे गई ? 2018 में भी पार्टी उस वक्त जीतने में कामयाब रही थी, जब कांग्रेस 68 सीटें जीतकर आई थी. लेकिन 2023 के चुनाव के बाद पार्टी के लिए यह मंथन और चिंतन का विषय बना हुआ है कि जांजगीर लोकसभा क्षेत्र में पार्टी के हाथ एक भी विधानसभा सीटें कैसे नहीं आई ?
इस मंथन और चिंतन को केंद्र में रखकर मिशन-28 के तहत जनादेश परब का कार्यक्रम जांजगीर में तय किया गया है इससे इंकार नहीं किया जा सकता है. भाजपा जांजगीर से विपक्ष को एक संदेश भी देना चाहती है कि जहाँ से तुम जीते, वहाँ अब 28 में कमल खिलाना लक्ष्य है और इसे जरूर पूरा करेंगे. साथ ही बीेजेपी जनता को भी यह संदेश देना चाहती है कि भले 23 के चुनाव में यहाँ से जनादेश न मिला हो, लेकिन 28 के लिए आज और अभी से समर्थन और आशीर्वाद चाहिए. यही मांगने परब के बनाने राष्ट्रीय अध्यक्ष आए हैं.
वैसे जेपी नड्डा ने कुछ इसी तरह के संकेतों के साथ अपना भाषण भी दिया. उन्होंने साय सरकार के 2 साल की उपलब्धियां गिनाने से पूर्व कांग्रेस की नाकामियां गिनाई. कांग्रेस पर कई बड़े और गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने जनता को यह एहसास भी कराया कि 2018 में कांग्रेस जब सत्ता में आई थी, तो उन्होंने कैसे वादाखिलाफी की. उन्होने पीएससी, गोधन न्याय योजना, कोयला, शराब जैसे कई मामलों को उठाते हुए आरोप लगाया है कि कांग्रेस सरकार में कुछ था वो सिर्फ भ्रष्टाचार…भ्रष्टाचार…कुशासन.
इन आरोपों के बाद भाजपा अध्यक्ष साय सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहते हैं- 2 साल में विष्णुदेव साय सरकार ने सारे के सारे वादें पूरे कर दिए. 31 सौ में धान खरीदी से लेकर बकाया बोनस तक. पीएससी सहित अन्य परीक्षाओं में पारदर्शी भर्तियां से लेकर भ्रष्टाचार के सारे मामलों की जांच और गिरफ्तारियां तक. महतारी वंदन से लेकर 32 हजार सरकारी नौकरी तक. सड़क, बिजली, पानी के साथ नक्सलवाद के खात्मे तक. वो सब जो जनता के लिए है, जनता के साथ है.
इन सब विषयों पर बोलते हुए अंत में जेपी नड्डा क्षेत्रवासियों से अपनी पुरानी यादें भी साझा करते हुए कहते हैं- मैं पहले भी जांजगीर आते रहा हूं. मैंने यहां सिर्फ सभाओं को ही संबोधित नहीं किया, बल्कि क्षेत्र के लोकप्रिय नेता नारायण चंदेल के साथ क्षेत्र का भ्रमण भी किया. बैठकें की है. चाय की दुकान पर चाय पी है. यहां के लोगों के साथ मेरा जुड़ाव पुराना है, याराना है. इतना ही नहीं वे जनता का आभार जताते हुए यह भी कहते है कि जनादेश परब जनता का पर्व है और जनता के लिए ही है. 2023 में जो भरपूर आशीर्वाद मिला उसके हम सभी आभारी है. लेकिन इसके साथ-साथ वे क्षेत्रवासियों को यह एहसास भी करा जाते हैं कि आगे उनकी ही बारी और 2028 को हमारी क्या तैयारी है.
भाजपा की रीति-नीति और रणनीति को जानने वाले पत्रकार और चुनाव विश्लेषक भी यही मानते हैं कि सरकार बनाने के बाद से ही बीजेपी चुनावी मोड पर चली जाती है. और जिन क्षेत्रों में पार्टी को फोकस करना वहां सालों पहले से तैयारियाँ विभिन्न कार्यक्रमों के साथ शुरू कर दी जाती है. विशेषकर उन क्षेत्रों में जहाँ बीते चुनाव पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा हो. जांजगीर में जनादेश परब के इस कार्यक्रम को सुशासन उत्सव या 2 साल की उपल्बधियों के साथ ही नहीं देखा चाहिए. बल्कि इसे मिशन 2028 के साथ भी देखा चाहिए. जहां आरंभ है…प्रचंड है…
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