अमित पांडेय, खैरागढ़: जिले के सुदूर और दुर्गम वनांचल क्षेत्रों में ठंड से जूझ रहे बैगा आदिवासियों के लिए मां पाताल भैरवी मंदिर समिति ने एक बार फिर राहत का हाथ बढ़ाया है। जिला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर दूर और मध्यप्रदेश की सीमा से मात्र एक किलोमीटर दूरी पर स्थित छत्तीसगढ़ के अंतिम गांव बकरकट्टा थाना क्षेत्र अंतर्गत झिलमिली सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में समिति ने राहत सामग्री का वितरण किया।

ठिठुरन भरी कड़ाके की ठंड में समिति के सदस्यों ने बच्चों को गर्म कपड़े और ऊनी टोपियां वितरित की, जबकि महिलाओं और बुजुर्गों के लिए कंबल का इंतजाम किया गया। ग्रामीणों ने बताया कि सुदूर वनांचल में बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण सर्दी के मौसम में जीवन और कठिन हो जाता है। ऐसे में मंदिर समिति का यह कदम उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं।

समिति के अध्यक्ष राजेश मारू ने बताया कि हर वर्ष जैसे ही ठंड की शुरुआत होती है, समिति का प्रयास रहता है कि मदद सीधे वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंचे। उन्होंने कहा, “हम वरिष्ठ पत्रकार कमलेश सिमनकर के सहयोग से ऐसे गांवों का चयन करते हैं, जहां शासन की योजनाएं सीमित रूप में ही पहुंच पाती हैं। हमारा मानना है कि सेवा का असली अर्थ तभी है, जब मदद सही हाथों तक पहुंचे।”

इस अभियान में समिति के उपाध्यक्ष दीपक जोशी और नीलम बैद ने सामग्री जुटाने और वितरण की व्यवस्था में अहम भूमिका निभाई। अन्य सहयोगियों में विवेक रंजन सोनी, यशवंत (हिम्मत) पवार और रोशन ठाकुर भी शामिल रहे।
समिति ने केसीजी जिले और छत्तीसगढ़ प्रदेश के अंतिम छोर पर बसे ग्राम झिलमिली, गाताभर्री, समुंदपानी, चोभर और हाथीझोला में पहुंचकर बैगा आदिवासी समुदाय को राहत सामग्री प्रदान की। स्थानीय ग्रामीणों ने समिति के इस मानवीय प्रयास के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ठंड के इस मौसम में कंबल और गर्म कपड़े उनके जीवन में बड़ी राहत लेकर आए हैं।
मां पाताल भैरवी मंदिर समिति का यह निरंतर सेवा अभियान न केवल सामाजिक सरोकारों की मिसाल है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सामूहिक इच्छाशक्ति और संवेदनशीलता के माध्यम से सुदूर वनांचल तक भी मदद और सहयोग पहुँचाया जा सकता है।
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