पाकिस्तान के गंभीर आर्थिक संकट के बीच उसकी सरकारी एयरलाइन पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) को आखिरकार नीलाम कर दिया गया है. सरकार ने PIA को 13,500 करोड़ रुपये (PKR 135 अरब) के दाम पर बेच दिया, जो बीते करीब दो दशकों में देश की सबसे बड़ी निजीकरण प्रक्रिया मानी जा रही है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के सख्त नियमों और बढ़ते घाटे के दबाव में यह फैसला लिया गया. खुली नीलामी के बाद निवेश समूह आरिफ हबीब कॉर्प को एयरलाइन का नया मालिक चुना गया है.

कैसे हुई PIA की ऐतिहासिक नीलामी

PIA की नीलामी प्रक्रिया पाकिस्तान के प्राइवेटाइजेशन कमीशन बोर्ड की निगरानी में दो चरणों में हुई. पहले चरण में लकी सीमेंट, निजी एयरलाइन एयरब्लू और आरिफ हबीब ग्रुप ने सीलबंद बोलियां जमा कीं. शुरुआती दौर में एयरब्लू तय न्यूनतम कीमत से कम बोली लगाने के बाद रेस से बाहर हो गई. पहले राउंड में सबसे ऊंची बोली 11,500 करोड़ रुपये रही, जिसके बाद सरकार ने दूसरे राउंड के लिए बेस प्राइस बढ़ाकर 12,500 करोड़ रुपये कर दी. अंततः खुले ऑक्शन में आरिफ हबीब ग्रुप ने 13,500 करोड़ रुपये की बोली लगाकर PIA को खरीद लिया.

लाइव ऑक्शन से दिखी पारदर्शिता

सरकार ने इस नीलामी को पूरी तरह पारदर्शी रखने के लिए लाइव टीवी और सरकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित किया. नीलामी में PIA के 75 फीसदी शेयर बेचे गए हैं, जबकि शेष 25 फीसदी हिस्सेदारी को 90 दिनों के भीतर खरीदने का विकल्प दिया गया है. प्रधानमंत्री के निजीकरण सलाहकार मुहम्मद अली ने बताया कि यह ढांचा इस तरह बनाया गया है, जिससे सरकार को उचित मूल्य मिले और एयरलाइन में नए निवेश का रास्ता खुले.

सरकार क्यों मानती है निजीकरण जरूरी

पाकिस्तानी सरकार का कहना है कि PIA को बेचने का मकसद सिर्फ घाटे से छुटकारा पाना नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एयरलाइन को फिर से उसकी पुरानी प्रतिष्ठा दिलाना है. वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने कहा कि आज सभी बोलीदाता पाकिस्तान से ही थे और चाहे जो जीते, जीत पाकिस्तान की ही होगी. उनका मानना है कि अगर बेड़े को 18 विमानों से बढ़ाकर 30–40 करना है, तो निजी निवेश बेहद जरूरी है. सरकार को उम्मीद है कि इस सौदे से भविष्य में विदेशी निवेशकों का भरोसा भी बढ़ेगा और PIA को नई उड़ान मिल सकेगी.

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