टुकेश्वर लोधी, आरंग | कृषि उपज मंडी आरंग में किसानों की सुविधा के लिए बनाई गई नई सड़क अब सरकारी तंत्र और निर्माण एजेंसी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है. करीब 2 करोड़ 17 लाख रुपये की लागत से बनी इस सड़क में महज 2 महीनों में ही जगह-जगह दरारें पड़ चुकी हैं, जिससे निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर संदेह पैदा हो गया है.

हर कुछ दूरी पर दिख रही खामियां
मंडी के मुख्य गेट से प्रवेश करते ही सड़क की हालत साफ नजर आती है. सड़क पर हर कुछ कदम की दूरी पर बड़ी-बड़ी दरारें दिखाई दे रही हैं. मंडी आने वाले किसानों और स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क बाहर से भले ही नई और चमचमाती दिख रही थी, लेकिन अंदरूनी निर्माण बेहद कमजोर है. लोगों के बीच यह चर्चा भी है कि क्या निर्माण कार्य जल्दबाजी में किया गया या फिर गुणवत्ता से समझौता हुआ है.

सूरजपुर की कंपनी ने किया निर्माण
इस सड़क का निर्माण विश्रामपुर (जिला सूरजपुर) की चंद्रा कंस्ट्रक्शन द्वारा किया गया है. फिलहाल धान खरीदी शुरू होने के कारण निर्माण कार्य अस्थायी रूप से रुका हुआ है. हालांकि, जो हिस्सा बनकर तैयार हो चुका है, उसकी हालत अभी से खराब होने लगी है. करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद सड़क में आई दरारें शासन-प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रही हैं.

जिम्मेदारों का पक्ष
मामले में मंडी बोर्ड के असिस्टेंट इंजीनियर संजय झा ने बताया कि सड़क निर्माण अभी पूर्ण नहीं हुआ है. धान खरीदी के कारण काम अस्थायी रूप से रोका गया है और खरीदी समाप्त होने के बाद दरारों की मरम्मत कर दी जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि निर्माण कार्य उनके कार्यकाल में ही शुरू हुआ था.

हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि नई बनी सड़क में इतनी जल्दी दरारें क्यों आईं. क्या निर्माण के दौरान गुणवत्ता की उचित जांच की गई थी, या फिर घटिया सामग्री का उपयोग हुआ है, इसकी जांच की मांग उठने लगी है.

प्रशासन के सामने खड़े सवाल

  • क्या 2 करोड़ 17 लाख रुपये की लागत से बनी सड़क की उम्र महज 60 दिन थी?
  • निर्माण के दौरान गुणवत्ता की निगरानी करने वाले अधिकारी क्या अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे?
  • क्या दोषी ठेकेदार और लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई होगी या मामला औपचारिकता में निपटा दिया जाएगा?

अब सभी की निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं कि वह इस मामले में क्या कदम उठाता है और किसानों के हित में बनी सड़क की गुणवत्ता को लेकर क्या कार्रवाई करता है.