हेमंत शर्मा, इंदौर। स्टेट साइबर सेल इंदौर ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी के एक मामले में 3 करोड़ 72 लाख रुपये की ऑनलाइन ठगी गई राशि को फ्रीज़ कराकर पूरी तरह रिकवर करा लिया है। यह कार्रवाई भारत के राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल (I4C) और अमेरिका के साइबर क्राइम पोर्टल IC3 के माध्यम से की गई। 

मामला इंदौर स्थित निजी कंपनी शिवगंगा ड्रिल्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा है। कंपनी द्वारा अमेरिका के ह्यूस्टन स्थित अपने वेंडर इनोवेक्स इंटरनेशनल इंक को 4 लाख 15 हजार 17.58 अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया जाना था, जो भारतीय मुद्रा में लगभग 3.72 करोड़ रुपये होता है। यह भुगतान अंतरराष्ट्रीय ट्रांजैक्शन के माध्यम से किया गया। इस दौरान साइबर अपराधियों ने बिजनेस ईमेल कंप्रोमाइज (BEC) और स्पूफिंग ईमेल का सहारा लेकर कंपनी को धोखे में डाल दिया। साइबर ठगों ने ऐसा ईमेल भेजा, जो देखने में कंपनी के वेंडर या किसी विश्वसनीय स्रोत से आया हुआ प्रतीत हो रहा था। इसी फर्जी ईमेल के जरिए भुगतान की राशि अमेरिका स्थित जेपी मॉर्गन बैंक के एक संदिग्ध खाते में ट्रांसफर करवा ली गई। स्पूफ ईमेल वह धोखाधड़ी वाला ईमेल होता है, जिसमें भेजने वाला अपना नाम या ईमेल डोमेन इस तरह बदल देता है कि मेल किसी भरोसेमंद बैंक या कंपनी से आया हुआ लगे। 

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वहीं बिजनेस ईमेल कंप्रोमाइज एक ऐसा साइबर फ्रॉड है, जिसमें व्यवसायिक संस्थानों को निशाना बनाकर भुगतान से जुड़ी ठगी की जाती है। धोखाधड़ी के बाद साइबर अपराधियों ने कंपनी को दोबारा फर्जी ईमेल भेजकर बताया कि भुगतान रिजेक्ट हो गया है और एक वैकल्पिक बैंक खाते में दोबारा भुगतान करने का अनुरोध किया गया। इस पर कंपनी को संदेह हुआ और उन्होंने सीधे अपने वेंडर से टेलीफोन पर संपर्क किया। बातचीत के दौरान पूरी ठगी का खुलासा हुआ। इसके बाद कंपनी ने तत्काल स्टेट साइबर सेल इंदौर में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत मिलते ही राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल (I4C) पर ऑनलाइन प्रकरण दर्ज किया गया। जांच में सामने आया कि जिस बैंक खाते में राशि ट्रांसफर हुई है, वह अमेरिका से संबंधित है। इसके बाद अमेरिका में एफबीआई के अधीन इंटरनेट क्राइम कंप्लेंट सेंटर (IC3) पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराई गई। भारत और अमेरिका के साइबर क्राइम पोर्टल I4C और IC3 पर दर्ज शिकायतों के रजिस्ट्रेशन नंबर का हवाला देते हुए जेपी मॉर्गन बैंक को आधिकारिक ईमेल के माध्यम से तत्काल सूचना दी गई। तेज कार्रवाई के चलते जेपी मॉर्गन बैंक ने संदिग्ध खाते में जमा पूरी राशि को तुरंत होल्ड कर दिया।

इसके बाद बैंक ऑफ इंडिया, जिसमें इंदौर स्थित कंपनी का खाता है, के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय रिकॉल प्रक्रिया शुरू की गई। समय रहते कार्रवाई होने के कारण वास्तविक वित्तीय धोखाधड़ी को पूरी तरह रोका गया और 4 लाख 15 हजार 17.58 अमेरिकी डॉलर की पूरी राशि कंपनी को वापस दिला दी गई। इस पूरे मामले में स्टेट साइबर सेल इंदौर में पदस्थ निरीक्षक दिनेश वर्मा और उपनिरीक्षक इंद्र सिंह की भूमिका सराहनीय रही। दोनों अधिकारियों ने भारतीय साइबर क्राइम पोर्टल के साथ-साथ अमेरिका के इंटरनेट क्राइम सेंटर से समन्वय कर पीड़ित कंपनी और उसके वेंडर के बीच तत्काल संपर्क स्थापित कराया, जिससे ठगी की राशि अपराधियों तक पहुंचने से पहले ही रोक ली गई। स्टेट साइबर सेल इंदौर ने आम नागरिकों और व्यापारिक संस्थानों से अपील की है कि ईमेल के माध्यम से प्राप्त बैंक विवरणों में किसी भी प्रकार के बदलाव पर भुगतान करने से पहले स्वतंत्र माध्यम से पुष्टि अवश्य करें। किसी भी तरह का संदेह होने पर तुरंत नजदीकी साइबर सेल या राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन से संपर्क करें, ताकि समय रहते साइबर ठगी को रोका जा सके।

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