शिखिल ब्यौहार, भोपाल। सुप्रीम कोर्ट में धर्मांतरण विरोधी कानूनों को लेकर बड़ा मामला गरमा गया है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की मुख्य याचिका सहित देश भर के तीन दर्जन से ज्यादा मुस्लिम संगठनों ने इन कानूनों को चुनौती दी है। कोर्ट ने मध्य प्रदेश समेत 10 राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि आखिर आपके राज्य में ये कानून क्यों जरूरी हैं। अब 28 जनवरी को इस मामले पर सुनवाई होगी।  

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“याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ये कानून अंतर-धार्मिक विवाहों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करते हैं। दूसरी तरफ, तमाम हिंदूवादी संगठन और साधु-संतों के संगठन कानून के पक्ष में एकजुट हो गए हैं। इन संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में इंटरवीन करने के लिए फाइल, रिपोर्ट और सबूत तैयार किए हैं।

इन रिपोर्ट्स में बताया गया है कि जबरन या प्रलोभन से धर्मांतरण क्यों रुकना जरूरी है और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में ये कानून कैसे प्रभावी साबित हो रहे हैं। हिंदू संगठनों का दावा है कि उनके पास दर्ज मामलों के सबूत हैं, जो कानून की जरूरत को साबित करते हैं। साधु-संत भी कानून की पैरवी करते हुए कोर्ट में पक्ष रखेंगे।  

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सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से पूछा है कि धर्मांतरण विरोधी कानून क्यों आवश्यक हैं। 28 जनवरी की सुनवाई पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं। ये फैसला धर्म की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर बड़ा असर डालेगा।  

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