शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने हाल में हुई कैबिनेट बैठक के दौरान 5 छोटे संवर्ग खत्म करने का फैसला किया था। जिसमें स्थायी-अस्थायी पदों में अंतर समाप्त कर दिया गया। लेकिन इस सरकारी आदेश पर बवाल मच गया है। मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच अध्यक्ष अशोक पांडेय ने कर्मचारियों को बंधुआ मजदूर बनाने का आरोप लगाया है। 

उन्होंने कहा, छोटे संवर्ग के डेढ़ लाख पद खत्म कर दिए हैं। न कर्मचारी संगठनों से बात की न संगठन प्रतिनिधियों से बात की, चुपचाप निर्णय लिया। डेढ़ लाख दैनिक वेतन भोगी, अंशकालीन दैनिक वेतन भोगी समेत अन्य कर्मचारियों को बंधुआ मजदूर बना दिया है। अब न न्यायालय में मांग कर सकते हैं और न विभाग में मांग कर सकते हैं। रिटायरमेंट पर पद खत्म हो जाएगा। पंगु बनाया गया है। कर्मचारियों को जो सालों से काम कर रहे थे, उनके साथ सरकार ने पाप किया है। सरकार ने इसलिए निर्णय लिया है ताकि अपने अधिकारियों और अपने आप का न्यायालय में जवाब देने के लिए कवच तैयार कर सकें।’

उन्होंने आगे कहा, ’15 – 20 साल की नौकरी के बाद सुप्रीम कोर्ट की नौकरी पर आदेश के बाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद लेबर कोर्ट के आदेश के बाद नियमित नहीं कर रही है। छोटे संवर्ग कर्मचारियों की विरोध की नीति है। न उन्हें लाभ मिला, न वेतन में वृद्धि, किसी भी प्रकार  का कोई लाभ नहीं दिया। पद खत्म कर दिए। कोई मांग नहीं कर सकते हैं। 28 तारीख को हम आंदोलन करेंगे। मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा है। अगर इसे वापस नहीं लिया तो अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे।’

मामले पर कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार की कथनी और करनी में बड़ा फर्क है। हर साल 1 लाख रोजगार का दावा करने वाली सरकार का काला आदेश है। सरकार कर्मचारियों को बेरोजगार करने पर आमादा है। वादे कर भूल गई है। कांग्रेस कर्मचारियों के साथ है।

वहीं इस पूरे मामले पर बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा, ‘बीजेपी सरकार कर्मचारी हित में है। ऐसे निर्णय तब लिए जाते हैं, जब उनका हल निकाला जा चुका हो। पहले ही पदों पर भर्ती या अन्य पदों को सृजन कर लिया जाता है। सरकार किसी का अहित नहीं चाहती है। नियम के तहत ही ऐसे निर्णय होते हैं। कांग्रेस मामले पर राजनीति कर रही है।’

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